डरावनी यादों का एहसास ….
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Hindi Paranormal Story – Darawani Yaadon ka Ehsaas
Photo credit: krosseel from morguefile.com
दोस्तों जीवन में कल हमारे साथ क्या होने वाला है इस बात से मै अनजान थी। कुछ मेरे साथ ऐसा हुआ जिस पर मुझे कतई यकीन नहीं था मै पढ़ी -लिखी लड़की कहाँ सोच सकती थी ,की आत्माये ,भूत होते है। इस तरह की कई घटनाये जो मेरे आपबीती जीवन में घटी है.उसे मै आपके समछ प्रस्तुत करने की कोशिश करूँगी।
पहली घटना – बात उन दिनों की जब मैं कॉलेज में पढ़ रही थी. गर्मी की छुट्टियाँ बिताने अपने परिवार संग नानी माँ के घर गयी थी, वहा चारो और हरियाली – ही हरियाली ,गाँव के सीधे -सादे लोग ,हर घर में गाय ,बकरिया,और कई अन्य पालतू जानवर होते थे। उन दिनों गाँव में बिजली नहीं थी।
मेरी वहा के कुछ बच्चे से दोस्ती हो गयी थी ,उनसे मैं बातें करती , उनके साथ खेलती , समय कैसे बीतता पता ही न चलता। वहाँ की मनोरम वादियाँ के तो कहने ही क्या , आमों के बागान कई मील फैले , फलों से लदे पेड़ , उस पर बैठी कोयल की मधुर-मीठी तान , पानी- रेत से भरी नदी। कही दूर टूटी सड़क पर तांगेवाला आ रहा है ,लोग उसे कोतूहल की दृस्टि से देखते नजर आते , नानी माँ मेरी पसंद के पकवान बनाती। गाँव में मुझे अँधेरा होने पर डर लगता था. क्यूंकि गाँवों के लोग जल्दी सो जाते ,बिजली तो थी नहीं ,चारो ओर सन्नाटा पसर जाता ,बस रह जाती तो अँधेरी रात।
एक रात मै कमरे में माँ के संग सोई थी ,पता नहीं कब माँ गर्मी के कारण छत पे चली गयी ,मैं गहरी नींद में थी। अचानक मुझे लगा किसी ने मुझे उठाया .मेरी आँख खुलती है। मैं हाथ में लगी घड़ी में टॉर्च जलाकर समय देखती हूँ , रात के पूरे बारह बजे थे ,बाहर से कुत्ते की रोने की आवाज आ रही थी,कही से बिलियों की आवाजे आ रही थी। मेरे पूरे बदन से डर के कारण पसीने निकल रहे थे ,आस -पास कोई नजर नहीं आ रहा था तभी किसी लड़की की रोने की आवाज आ रही थी ,मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था , इतनी रात को रो रहा है। मुझे अंदर से डर लग रहा था। की अचानक मेरी नजर पानी से भरे जग पर गयी , जो बिना किसी व्यक्ति के बिना अपनी जगह से ऊपर उठ रहा था, अब मै समझ गयी थी , बुरी आत्मा यहाँ पर है , मैं ईश्वर नाम ले दरवाजे की तरफ भागी , अचानक दरवाजा बंद।
अब मैं रो रही थी ,डर के कारण आवाज नहीं निकल रही थी। मैंने सोचा आज मै जिन्दा नहीं बच पाऊँगी। तभी कमरे में एक खुले बालों वाली लड़की जो फ्रॉक पहने थी, खुनी लाल आँखें गुस्से से मेरी और देख रही थी। मैंने बोला – मैंने आपका कुछ भी बुरा नहीं किया ,मुझे मत मारो. मुझ परेशान मत करो। इतना कहा और मै बेहोश हो गयी। जब मुझे होश आया तो माँ ने बताया नीचे कुछ गिरने की आवाज आई जो तुम्हारे कमरे से थी। आकर देखा तुम बेहोश पड़ी थी।मैने सारी बातें माँ को बताई तो माँ ने नानी से बोलकर उस कमरे में हवन करवाया।
दूसरी घटना – मैं कही बाहर घूमने गयी थी। वहाँ मैंने जो कमरा लिया था , जैसे ही मैं कमरे में घुसी कुछ ठीक नहीं लग रहा था। मैंने जाते ही अपने कपड़े आलमारी में डाल दिए। सुबह मैं क्या देखती हूँ। उस पर खून के निशान थे ,मैं थोड़ी घबरा गयी पर मैंने सोचा हो सकता है जो मैं साथ में दवा लायी हूँ ,वोही गिरी हो. पर सिलसिला यहाँ कहाँ रुकने वाली था। .. हर वस्तुएं अपनी जगह पर नहीं मिलती।मैने अपने तौलिए को कमरे में सूखने को डाला तो उह कटा मिला, सुबह- शाम मुझे ये अहसास रहा था ,की कोई मेरे- आस- पास आत्मा है ,मुझे डर का अहसास होता था। एक दिन मैं दोपहर को सोयी तो मैं क्या देखती हूँ की कई आत्माओं ने मुझे पूरे जोर से दबा रखा है ,मैं उठाना चाह रही थी पर उठ नहीं पा रही थी। बोलना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही थी। थोड़ी देर बाद उठी पसीने से तर-बतर। मैंने तुरंत होटल का कमरा खाली कर अपने घर वापस आने का निर्णय लिया
उस अहसास को मैं शब्दों में क्या बयाँ करूँ। आज भी वो अहसास याद आते रोंगटे खड़े हो जाते है।
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