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Padha Likha Dulha, Unpadh Dulhan

Published by hemant mehra in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag child marriage | education | Fun | Love | wife

 

पढ़ा-लिखा दूल्हा अन-पढ़ दुल्हन

दोस्तों मैं कोई प्रोफेशनल लेखक तो नहीं हूँ , हा लेकिन में पूरी कोशिश करूँगा की कहानी के साथ पूरा न्याय कर सकू। तो दोस्तों ये कहानी हे मेरे एक मित्र बब्बन कुमार की जिसका जन्म एक अच्छे परिवार में हुआ। उसके पिताजी एक सरकारी नौकर है और माता पढ़ी- लिखी नहीं है। उसका बचपन बहुत अच्छे से बीत रहा था दोस्तों के साथ खेलना मस्ती करना सब ठीक था। लेकिन जब वो नवी कक्षा में आया कुदरत का कहर उस पर टुटा हुआ यूँ की उसके हलकी हलकी दाड़ी आना शुरू हो गई। जवानी के लक्ष्ण दिखाई देने लगे चुकी उसके परिवार की प्रष्ठभूमि गांव से संबंध रखती थी तो अक्सर छुट्टियों में अपने गाँव जाया करता था।

तो जैसा की अक्सर होता है गाँव के बड़े बूढ़े लोग बोलते हे ये देखो छोरे दाड़ी मूंछे निकल आई अभी तक कंवारे फिर रहे है बस ऐसा ही कुछ अपने बब्बन के साथ भी हुआ ।उसके दादा जी जिनकी उम्र हो चली थी बोल दिए उसके पिताजी से बेटा अब तो एक ही इच्छा है बब्बन की शादी देख लू। बस फिर क्या था शरू हो गया दुकानदारी का खेल जिसमे बब्बन भैया थे आइटम और लड़कीवाले थे ग्राहक तो दोस्तों ये सिलसिला चलता रहा फिर वो दिन आ ही गया जब ऊपर वाले ने उनकी बोली फिक्स कर ही दी। साहब दिन था रविवार बब्बन भैया अपनी मस्ती में घर के आंगन में ही खेल रहे थे कुछ लोग धोती कुरता बांधे हुए घर पधार गए। अब चुकी बब्बन के पिताजी कृषि विभाग में बाबु थे तो लोग मिलने आते रहते थे तो बब्बन भैया ने भी ज्यदा ध्यान नहीं दिया खेलते रहे फिर कुछ समय बाद उनके पिताजी ने उन्हें बुलाया तो जो लोग आये थे उन्होंने ऊपर से निचे तक बब्बन को देखा और अपने मन में ही न जाने क्या सोच लिया और लगभग एक घंटे के बाद वो लोग चले गए ।

अब इस बात को लगभग 2 महीने बीत गए बब्बन भैया की स्कूल में ऐश चल रही एक लड़की जिसपे  उनका क्रश था उससे बाते करते मन में न जाने क्या क्या सोचते, ऐसा ही एक दिन था अपनी स्कूल से बब्बन भैया घर आये तो उनक माता बोली बेटा हमें गाँव चलना है बब्बन भैया भी तैयार  हो गए। और अगले दिन सब परिवार वाले गाँव गए ये बब्बन के परिवार का गाँव जाना कोई घूमना नहीं था वो लोग उनकी सगाई करने आये थे। चुकीं बब्बन संस्कारी थे घरवालो की इज्ज़त करते थे समाज  में उनके पिता और दादा की इज्ज़त थी चुपचाप सगाई कर ली वो वापस शहर आ गए ।

समय निकलता गया सब नार्मल होने लगा बब्बन जी थे नए ज़माने के पढ़े लिखे तो उनका मन करता था की वो भी उनकी मंगेतर से बात करे सगाई और शादी के बीच जो खुशनुमा पल होते  है उनका मजा ले  वो उनसे रूठे और मनाएं लेकिन ये सब उनके मन के केवल ख्याल बनकर रह  गए। क्यूंकि उनकी मंगेतर थी अनपढ़ और ग्रामीण प्रष्टभूमि तो ये सब उनके नसीब में नहीं था देखते ही देखते कब एक साल गुजर गया पता ही नहीं चला।

इधर बब्बन भैया के दसवीं के एग्जाम ख़त्म हुए उधर उनकी शहनाई बज गई भैया उनकी शादी हो गई।

अब आज के ज़माने की बात करे तो टीवी ने सब को जरुरत से ज्यादा  ज्ञान तो  दिया ही है बस बब्बन भैया भी ज्ञान प्राप्त करने वालो में से एक थे ।मन ही मन सोचने लगे आज तो सुहागरात है घूँघट उठाएंगे लेकिन उन्हें क्या पता था थोडा ज्ञान उनके माता पिता ने भी लिया था उन्हें पता था अभी सही समय नहीं है तो दुल्हन को बब्बन की पहुँच से दूर रखा गया। बब्बन ने बहुत कोशिश की बात करने की उनकी दुल्हन से लेकिन कामयाब नहीं हो पाए इस तरह 2 दिन निकल गए तीसरे दिन तो भाभीजी के घरवाले उन्हें लेने आ गए ।साब बब्बन जी के घर पे खूब नाच गाना खान पीना हुआ और अगले दिन भाभीजी को उनके घरवाले ले गए सारे अरमान अधूरे रह  गए।

अब छुट्टियाँ भी खतम हो गई थी तो शादी से फ्री होकर  सब लोग वापस शहर आ गए  ।बब्बन भैया भी स्कूल और बोर्ड एग्जाम की टेंशन में सब भूल गए और खूब मन लगा  के पढने लगे बोर्ड एग्जाम थे देखते देखते एग्जाम आ गए रिजल्ट भी आ गया 79% प्राप्त किये। उनका मन हुआ पत्नी को बताये लेकिन मजबूर वो अनपढ़ पुराने ग्रामीण खयालात वाली लड़की फ़ोन पे भी बात नहीं करती थी।

इस तरह शादी के दो साल हो गए बब्बन भैया अब 12 वी में आ गए काफी जवान भी हो गए थे। अब चुकी ज़माना आधुनिक है तो उन्होंने भी काफी टीवी और मोबाइल का उपयोग किया था। तो मन अब पत्नी से मिलने के लिए मचलने लगा और इसके लिए वो दिन रात भगवान से प्रार्थना करने लगे और भगवान् ने उनकी सुन भी ली ।मौका था उनके मामा जी के लड़के की शादी का। अब चूँकि उनकी माता ग्रामीण प्रष्टभूमि से थी तो उनके गायें भैस थी अब मुद्दा ये था की घर पे रुके कौन। सब ने सोचा बब्बन की लुगाई को ही छोड़ दे बस बब्बन भैया ने भी मौके पे चौका मर दिया और बोले मै भी रुक जाता हूँ घर सब लोग भी मान गए ।

अब दोस्तों यहाँ में कुछ शब्दों का उपयोग करूँगा जो शायद आप लोगो को सही न लगे। लेकिन ये इस कहानी की मांग है तो आगे की कहानी कुछ इस तरह है की जिस रात का बब्बन को इंतजार था वो आखिरकार आ ही गई। जैसा की मेने आपको पहले भी बताया था की बब्बन भैया टीवी बहुत देखते है। तो उनका ख्याल था लुगाई का घुंघट उठाएंगे फिर ऐसे करेंगे वेसे करेंगे। लेकिन उनके ये अरमान जल्द ही आंसुओं में बह गए। अब भाभीजी चूँकि पढ़ी लिखी नहीं थी तो बब्बन भैया जो डिमांड कर रहे थे वो नहीं कर रही थी आप समझ ही गए होंगे की वो क्या डिमांड कर रहे थे ।तो परिणाम ये था की वो अपनी इच्छा का कुछ भी नहीं कर पाए और मुंह फेर के सो गए। और मन ही मन अपने घरवालो को कोसने लगे की उनकी जिन्दगी बर्बाद कर दी उनके जीवन से पति पत्नी का जो रूठना मानना, मस्ती मजाक करना ,सभी पर फुल स्टॉप लगा दिया। इस तरह वो अपनी लुगाई से नफरत करने लगे उस से ठीक से बात नहीं करना इस तरह वो 5 दिन निकल गए ।

और सब घरवाले भी वापस आ गए बब्बन भैया भी शहर आ गए ।ओर अपनी पढाई में मस्त हो गए 12वी के बाद इंजीनियरिंग का एग्जाम दिया और कॉलेज में दाखिला भी ले लिया अब कॉलेज में जाने के बाद उनका दिमाग और भी ज्यादा ख़राब होने लगा। क्यूंकि वहां पर सुन्दर सुन्दर मॉडर्न लड़कियों को देखते तो मन डोलने लगता और अपनी पत्नी को उन लड़कियों से तुलना करके देखते इस तरह उनकी नफरत बढती गई।

साल निकलते गए लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी से बात भी नहीं की लगभग 4 साल पूरे हो गए इन चार सालों में घरवालो ने उन्हें समझाया।लेकिन वो नहीं माने ।फिर एक दिन उनकी पत्नी ने उन्हें फ़ोन किया उन्होंने ज्यादा बात नहीं की बस बोली एक बार मिलना है तो बब्बन भैया भी गाँव चले गए उनसे मिलने। तो दिन तो घरवालो से मस्ती मजाक में बीत गया अब रात की बारी थी भाभी जी सारे कामों से फ्री होकर अपने कमरे में गई और भाईसाब पलंग पे मुंह फूला के लेटे हुए भाभीजी बोली देखो जी अब में जैसी हूँ आपके सामने हूँ इसमें मेरी क्या गलती की घरवालो ने मुझे नहीं पढाया अब जो आप मुझसे चाहते है वो सब मेने कभी नहीं किया वो सब मेरे लिए नया है अजीब है। मै नहीं कर सकती तो और इतना कहते कहते वो रोने लगी और कुछ देर बाद बोली अगर आपको ये रिश्ता नहीं रखना तो मन कर दीजिये आगे जो होगा वो मेरी किस्मत;  इतना बोलके भाभीजी सो गई ।

लेकिन बब्बन भैया को सोचने पर मजबूर कर दिया सारी  रात उन्हें नींद नहीं आई और वो सोचते रहे बात तो ठीक है इसमें उसकी गलती क्या है उसके घरवालो की गलती है जो उसे पढाया नहीं और अगर आज में इसका साथ नहीं दूंगा तो में भी वही  गलती करूँगा क्या हुआ अगर ये पढ़ी लिखी नहीं है क्या हुआ जो इसेमे शहरी तौर- तरीके नहीं है मै इसे सिखाऊंगा और ये सब सोचते सोचते बब्बन भैया भी सो गए वो रात थी और आज का समय है बब्बन भैया और भाभीजी बहुत ही खुश है अपने जीवन मै उनके एक बेटी भी है और वो हंसी ख़ुशी अपना जीवन जी रहे है ।

तो दोस्तों इस कहानी के पीछे मेरा उद्देश्य ये था की बिलकुल बब्बन भैया के घरवालो ने गलत किया की उनकी शादी एक अनपढ़ से करा दी लेकिन क्या बब्बन भैया अगर ये शादी तोड़ देते तो क्या वो गलत नहीं करते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अपनी पत्नी का साथ दिया उसे आगे बढाया दोस्तों बुराई ,कुरीतियाँ ,अशिक्षा  ये तब अभिशाप बन जाती है जब हम इन्हें दूर करने से डरते है इनसे डरिए नहीं डट कर सामना करें जय हिन्द।

–END–

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