Such persons who don’t clear liability in time rather go on increasing so careless for household work.They have to face problems none washes when shed tears
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Hindi Story – Mountain Of Problems !
Photo credit: krosseel from morguefile.com
हम अपने दैनिक जीवन में कुछेक लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ है . समझ नहीं आता कि कैसे छुटकारा मिले इससे . ऐसे लोग अपने भाग्य को कोसते हैं या ईश्वर को दोष देते हैं . आत्मचिंतन या आत्मआंकलन से जी चुराते हैं या घबडाते हैं . प्राकृतिक आपदा को छोड़कर बाकी सभी मुसीबतें हम खुद पैदा करते हैं , जब एक –एक कर यह जमा होती जाती है और ज्यामितीय दर / क्रम में बढ़ती जाती है और एक दिन पहाड़ का रूप / आकार ले लेती है तो हम कहते फिरते हैं कि हम पर मुसीबतों का पहाड़ आ गया , अब हम क्या करें , क्या न करें .
चलिए , चलते हैं ऐसे लोगों के पास :
एक : साफ़ – सफाई , रंग – रोगन , रख – रखाव व देख – रेख
श्रीमान क के यहाँ गया तो देखा नौकरानी घरों में झाड़ू देती हुयी कूड़ा – करकट दरवाजे के बाहर निकालकर एक किनारे जमा कर देती है . अब वही हवा के झोंकों से उड़कर दरवाजे के सामने आ जाता है.
घर की दीवार का प्लास्टर गिर रहा है . दीवारें , दरवाजे , खिड़कियाँ आदि बदरंग हो रहे हैं
घर के फर्नीचर टूट- फूट रहे हैं .
कपडे की आलमारी में कागज़ – पत्र और कागज़ – पत्र की आलमारी में बैग , सूटकेस , बिजली का सामान , पुरानी रेडिओ , केसेट , क्रोकरी आदि .
ये भाई साहब को सब कुछ मालुम है , लेकिन निश्चिन्त हैं . आधार कार्ड बनाना है. जन्म तिथि के प्रमाण के लिए मैट्रिक का प्रमाणपत्र चाहिए . सप्ताह भर से खोज रहे हैं . नहीं मिला . हाथ जोड़कर जन्म – साल लिखवा दिए . किसी तरह काम चलने के आदी हैं ये सज्जन , परिणाम से इनको कोई मतलब नहीं . लड़के का बैंक एकाऊंट खोलवाना है, बिजली या पानी का कनेक्सन लेना है . एड्रेस प्रूफ चाहिए. आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए प्रखंड का चक्कर काट रहे हैं .
कुटुंब वाले उनकी लडकी को देखने आनेवाले हैं . आगामी रविवार को शुबह दस बजे आयेगें .रंग – रोगन , साफ़ – सफाई दिन – रात हो रही है. रात भर सज्जन सोते नहीं हैं , जाग कर काटते हैं . कोई मिल जाए , तो मत पूछिए एक ही तावा बजाते हैं , एक ही रोना रोते हैं : मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है . ख : सरकारी देनदारियों का भुगतान ये सज्जन ख बेमिशाल हैं . सरकारी देनदारी से अपने को दूर ही रखते हैं . आयकर या विक्रय कर जबतक सर के ऊपर से पानी नहीं बहता तबतक इनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती . भुगतान के लिए नोटिस मिलती है तो रात – रात भर नहीं सोते – चिंता – फिक्र से. बिजली का बिल करीब दो सौ पचास रुपये मासिक . पानी का बिल करीब दो सौ रुपये त्रेमासिक .
हज़ारो रुपये बकाये हो गये . इनको कोई चिंता – फिक्र नहीं . ये कहते हैं और लोगों के बकाये की राशि इनसे ज्यादा है , जब उन्हें चिंता नहीं तो इनको क्यों ? बिजलीवाले लाईन काट दिए हैं ऊपर से ऑर्डर है. इस गर्मी में रात भर बैठे – बैठे काट दिए . पत्नी एवं बाल – बच्चों का कोपभाजन बने सो अलग . दो – तीन दिन से रि-कनेक्सन के लिए ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं . पानी का कनेक्सन कब कट जाय कोई निश्चित नहीं . जिस जमीन पर घर है , उसका लगान देनी की जरूरत नहीं समझते . उनके अनुसार सर्व भूमि गोपाल की . जीवन वीमा थोक के भाव में करवा लिए हैं . प्रीमियम वक़्त पर नहीं दे पाते. कई पोलिसी लेप्स हो गयी – कई प्रतीक्षा – सूची में है. दो बच्चे स्कूल में और एक बच्ची कालेज में पढ़ती हैं . परीक्षा में बैठने से वंचित करने की सूचना जब मिलती है तो फीस का भुगतान करते हैं . पूछने पर बताते हैं : आजकल फीस इतनी बढ़ गयी है कि देना मुश्किल होता है. हमारे समय में फीस आने में थी , अब तो पांच सौ और हज़ार के नोट भी कम पड़ते हैं . ऐसे लोगों से आप बहस करेंगे तो हथियार डाल देंगे – ऐसा मेरा अनुभव है.
17 सितम्बर विश्वकर्मा पूजा का दिन था . मैंने अपनी स्कूटी और मारूती 800 बाहर धोने के लिए निकाली तो सज्जन व्यक्ति मिल गये – गर्व से बोले :
भाई साहब ! घर तरफ शाम को आईयेगा .
क्यों , कोई विशेष बात ?
हाँ , विशेष ही समझिये .
लडकी का रिश्ता पक्का हो गया क्या ?
वो बात नहीं है . क्या बताऊँ , वो नशीब कहाँ ?
प्रॉब्लम क्या है ?
वर मिलता है तो घर नहीं और घर मिलता है तो वर नहीं . और …
और क्या ?
जहां दोनों मिलते हैं , 15 – 20 मांगता है . वो तो मेरा मांस बेचने से भी जोगाड़ नहीं होगा.
तो कोई साधारण परिवार , परन्तु अच्छा सा वर देखकर शादी क्यों नहीं कर देते ?
ऐसा होता है क्या ? लडकी का रिश्ता हमेशा अपने से ऊँचे खानदान और पैसों वालों के साथ करना चाहिए . और मेरी तो बस एक ही लडकी है.
आप की लडकी अभी तो कालेज में पढ़ रही है . ग्रेजुयेसन तो करने दीजिये , फिर शादी कर दीजियेगा . दिक्कत क्या है ?
भारी दिक्कत है . तब तो जोड़ का लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा . मिलेगा भी तो वही 15 – 20 में . हो सकता है , महंगाई और बढे तो दहेज़ का रेट भी बढ़ सकता है. 20 – 25 हो जाए . तब तो बे फजूल 5 की चपत लग जायेगी. देखते नहीं पेट्रोल – डीजल का दाम पहले साल में एकबार बढ़ता था , अब रोज ब रोज बढ़ते जाता है.
एक बात पूंछू ?
जरूर पूछिये , शौक से पूछिए .
आप को देखता हूँ हमेशा आर्थिक संकट में रहते हैं .
व्यापार में ये सब आम बात है . ये सब चलता रहता है.
अच्छा आज किस खुशी में ?
एक नयी गाडी ली EMI स्कीम के अंतर्गत .
आप के पास तो बाईक है ही , फिर यह जहमत ?
लडका देखने जाना पड़ता है . अपनी कार रहेगी उसका …
समझ गया . तो आज पूजा … प्रसाद खिलाने …
हाँ . जरूर आईयेगा .
अब इनको कौन समझा सकता है ? सज्जन व्यक्ति जो ठहरे !
हमारे समाज में ऐसे हजारों सज्जन मिल जायेंगे जिनके सर पर मुसीबतों का पहाड़ है . ये पहाड़ एक दिन में नहीं हुआ , बल्कि कई महीने , कई साल लग गये . सोच और समझ की कमी . आडम्बर और दिखावा , झूठी शान – शौक़त , मिथ्याभिमान ऐसे कुछेक ठोस कारण हैं जो व्यक्ति को सुख – शांति व चैन से जीने नहीं देता . विडम्बना है कि हम फिर भी शेखी बघारने से बाज नहीं आते . हम आदत से लाचार जो हैं !
लेखक : दुर्गा प्रसाद , गोबिंदपुर , धनबाद , दिनांक : २१ जुलाई २०१३ , दिन : रविवार |
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