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Khwahishein

Published by Zufeshan . in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag dog | Ice cream

Hindi Social story of a old poor cobbler, he was alone which made him peevish. He would wait whole day for a customer.

icecream

Hindi Social Story – Khwahishein
Photo credit: prairiebeat from morguefile.com

सुबह के गयारह बज रहे थे आसमान बिलकुल साफ़ था धूप भी तेज़ निकली हुई थी बाज़ार लोगों से भरी पड़ी थी लोग अपने अपने काम में लगे हुए थ कोई स्कूल जा रहा था कोई कॉलेज कोई ऑफिस कोई सामान खरीद रहा था पूरी सड़क लोगों से भरी पड़ी थी आगे स्कूल कॉलेज ऑफिस सब कुछ होने की वजह से ये सड़क काफी बिजी रहता था!

सड़क के किनारे लाइन से लगे सब्जी फल मिठाई कपडे हर तरह की दुकान में लोगों की भीड़ लगी हुईं थी और सड़क के दूसरी तरफ दिनेश मोची अपना सामान बिछाये बैठा सड़क के दूसरी तरफ  सामने दुकानो में भरी भीड़ को देख रहा था और गुस्से हो रहा था कितने पैसे हो गएँ हैं लोगों के पास जब सौ दो सौ रूपये किलो में  लोग फल खरीद सकते हैं तो खाक मेरे पास अपने टूटे चप्पल जुडवाने आयेंगे नयी नहीं खरीद लेंगे!

दिनेश एक गरीब मोची था सुबह से शाम तक ग्राहक का इंतज़ार करता रहता था लेकिन उसके पास बहुत कम लोग ही आते थे ज्यादा तर स्कूल कॉलेज के बच्चे ही आते थे जिनके अचानक रास्ते में चप्पल टूट जाते थे और जिनके पास जुडवाने के इलावा और कोई चारा नहीं होता था !

ग़रीबी और अकेलेपन ने दिनेश को चिडचिडा कर दिया था वोह बिलकुल अकेला था बीवी बहुत पहले मर चुकी थी एक बेटी थी जिसकी शादी कर दी थी वोह बिलकुल अकेला हो गया था1 उसका बस एक बचपन का दोस्त था दोनों के घर करीब करीब थे शाम को अपनी दुकान समेटने के बाद दोनों घर के बाहर बैठे घंटो बातें करते रहते थे बस वही उसका एक सहारा था दिनेश का कभी मन  नहीं लगता तो उसका दोस्त उसके पास सो जाता कभी अगर तबियत ख़राब होती तो अपने दोस्त को बुला लेता!

दोपहर हो गयी थी वो अपना सामान बिछाये ग्राहक के इंतज़ार में बैठा सामने दुकानों में भरी भीड़ को देख कर गुस्से हो रहा था तभी सामने आइसक्रीम की दुकान से दो लड़के निकल कर सड़क के इस पार आकर उसके बगल में लगी बेंच पर बैठ गए और फिर बड़े आराम से एक पैकेट को खोला और फिर उसमें से एक बड़ी सी आइसक्रीम निकली थी जो देखने में बहुत  खुबसूरत थी  और फिर दोनों लड़के बड़े मज़े ले ले कर उसे खाने लगे वो कभी उसे चूसते कभी काटते और जब कटा तो अंदर से क्रीम निकल कर बहने लगा जिस पर  दोनों मज़े ले ले कर ज़बान फेरने लगे !दिनेश यूँ तो सामने देख रहा था लेकिन उसकी नज़र उन दोनों पे थी वो नज़रें तिरछी  किये उन दोनों को ही देख रहा था जिस अंदाज़ से वो मज़े ले ले कर खा रहे थे उसके मुंह में पानी आ रहा था! वो बार बार अपने को समझा कर नज़रें हटा रहा था पर उसका मन नहीं मान रहा था  वोह फिर नज़रें तिरछी  कर के उन्हें देखने लगता!

वोह रात भर सो नहीं पाया था पूरी रात वोह आइसक्रीम उसके नज़र में घूमती रही थी आइसक्रीम का खूबसूरत रंग उसके अंदर से निकलता क्रीम और लड़कों का उसे मज़े ले ले कर खाना पूरी रात उसके दिमाग में घूमता रहा!

अगली सुबह वो आइसक्रीम के दुकान पे था  उसे मालूम था की आइसक्रीम खाए बिना उसे चैन नहीं आएगा! पर  जब वोह दुकान से बाहर निकला तो उसके चेहरे पे उदासी थी वोह आइसक्रीम नब्बे रूपए की एक थी! वोह सोच कर के भी नहीं सोच सकता था की कोई आइसक्रीम इतनी महंगी हो सकती है वोह दस रूपए ले कर गया था जो उसके हिसाब से ज्यादा था!  दाम सुनने के बाद चुपचाप मुट्ठी में पैसे दबाये वापस आ गया!

वोह चुपचाप अपने दुकान पर आकर बैठ गया उसने सोच लिया था के यह  आइसक्रीम उसके बस की नहीं है नब्बे रूपए तो उसके कई दिन की कमाई थी नब्बे रूपए जमा करने में तो उसे कई दिन लग जाते!

आइसक्रीम थी के उसके दिमाग से   निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी बार बार उसके नज़रों के सामने इधर से उधर घूम रही थी! उसने खुद को समझाया छोड़ो आइसक्रीम को ये हमारे बस का नहीं है जितना हमारे पास है बस उसी में गुज़ारा करना है !

मैने पूरी ज़िन्दगी क्या किया है उसने खुद से सवाल किया! उसने ज़िन्दगी भर गुज़ारा किया था ज़िन्दगी भर बर्दाशत किया था कभी दोपहर के बचे खुचे से रात काम चलाया था और कभी रात के शोरबे को सुबह का नाश्ता  बनाया था! ज़िन्दगी भर मन को मारता  रहा था1 पर अब उसका मन नहीं मान रहा था! हालाँकि उसने हमेशा की तरह अपनी ख्वाहिस दबाने की कोशिश की खुद को समझाया की ये उसके बस का नहीं है लेकिन इस बार उसका दिल नहीं मान रहा था !

उसे बहुत चाय पीने  की आदत थी हर थोड़ी थोड़ी देर  में चाय पीता था! चाय पीने की एक और वज़ह थी के उसे भूक बहुत लगती थी और उसके पास इतने पैसे नहीं थे की वोह हर वक़्त कुछ कुछ खाता  रहे इस लिए चाय पी पी कर अपनी भूख दबाता रहता था !आज से  उसने चाय पीना कम कर दिया था !शाम को घर जाते वक़्त वोह रात का खाना ले कर जाता था अब उसने सालन लेना छोड़ दिया सिर्फ रोटी ले कर जाने लगा और उसे चाय चीनी गूढ़ किसे के साथ खा लेता था !ऐसे रोटी और चाय के पैसे बचाकर आइसक्रीम के लिए जमा करना शुरू किया !

कितने दिनों से उसके चारपाई  की एक टांग टूटी हुई थी वोह तीन टांग की हो गई थी! कब से  वोह   सोच रहा था की कुछ पैसे जमा हो तो इसकी मरम्मत करवाए! वोह एक साइड में सिमट कर सोता था कभी अगर नींद में गलती से करवट ले ली तोह वोह इतनी तेज़ी से टेढ़ी होती थी के वोह खुद को बचाते बचाते भी धडाम से ज़मीन पे गिरता था वोह कई बार गिर चूका था!लेकिन अब उसने  इसकी मरम्मत इरादा और थोड़े दिनों के लिए  टाल दिया था अब उसे सबसे पहले आइसक्रीम खानी थी !

अचानक शाम से उसके पेट में हल्का हल्का दर्द होने लगा था उसने जल्दी जल्दी दुकान समेटी और घर चला गया! रात होते होते दर्द काफी बढ़ गया था बड़ी मुश्किल से उसने बगल से हरी को बुलाया! वोह उसे डॉक्टर के पास चलने की जिद करता रहा लेकिन वोह डॉक्टर के पास नहीं गया बस दर्द की दो गोली मंगा कर खा ली! रात भर वोह दर्द से परेशान रहा सुबह होते होते दो तीन उल्टियाँ हुई तब थोडा दर्द कम हुआ !

असल में  दोपहर में उसने बहुत सरे केले और संतरे खा लिए थे उसने उसे सस्ते में ख़रीदा था जो थोड़े गले गले से थे! उसने सोचा था दोपहर का खाना खरीदने में ज्यादा पैसा लग जायेगा इस से ही  काम चला लें सो उसने खाने की जगह बहुत सारे  केले और संतरे खा लिए थे! और फिर शाम होते होते पेट में दर्द शुरू हो गया था! वोह डॉक्टर के पास इस लिए नहीं गया उसे मालूम था अगर वोह डॉक्टर  के पास जायेगा तो पता नहीं डॉक्टर दवाई इंजेक्शन क्या क्या बताएगा और फिर जो वोह एक एक रुपए बचा कर इतनी मुश्किल से पैसे  जमा किये हैं वोह सारे निकल जायेंगे ! इस लिए वोह रात भर करवटें बदल बदल कर दर्द को बर्दाश्त करता रहा !

आज वोह तीन दिन के बाद अपने काम पे आया था !पेट  दर्द इतने जोर का हुआ था की उसे कमजोरी हो गई थी घर पर ही आराम करता रहा! उसे जल्द से जल्द आइसक्रीम खाने का मन कर रहा था और पैसे थे की जमा होने का नाम ही नहीं ले रहे थे! और तीन दिन घर पर बैठने से जो पैसे जमा किये थे उसी से निकाल कर  खाना पड़ा  था और ग्राहक थे की आने का नाम ही नहीं लेते  थे! दोपहर हो गई थी लेकिन अभी तक किसी ग्राहक का पता नहीं था!

बहुत इंतज़ार के बाद शाम में एक आया उसे देख कर उसे बहुत ख़ुशी हुई उसने देखा अँधेरा हो रहा था अब शायद ही कोई और ग्राहक आए उसने सोच लिया था आज के खाने का खर्च इस ग्राहक से ही निकालना है! उसने उसके सैंडल  को हाँथ में ले कर उसे देखाने के लिए थोड़ी देर तक उलट पलट कर गौर से देखता रहा फिर बोला सैन्डल बहुत टूटी हुई है पहले इधर के फीते को उधर ले जा कर सीना पड़ेगा फिर उधर के फीते को इधर लाकर जोड़ना होगा फिर यहाँ से काट कर नया फीता लगाना होगा फिर ऊपर और नीचे  से चारों तरफ पूरी सिलाई करनी होगी पच्चीस रुपए लगेंगे! वोह इतना लम्बा चौड़ा भाषण दे कर आराम से बोला जैसे वोह बहुत कम पैसे बता रहा है और  इस पर एहसान कर रहा है वरना ऐसे टूटे सैंडल के तो और लग!ते

तुम तो ऐसे जोड़ और तोड़ बता रहे हो की यूँ लग रहा है तुम कोई चप्पल नहीं ताजमहल बनाओगे लाओ मुझे तुमसे नहीं सिलवाना! उस आदमी ने गुस्से से चप्पल उसके हाँथ से छीना और आगे बढ़ गया ! वोह उसे देखता रह गया एक इतनी मुश्किल से आया था वोह भी चला गया !

आज वोह दिन आ गया था जिस के लिए उसने कितनी मुसीबतें उठाई और कितना इन्तेज़ार किया आखिर उसने जैसे तैसे कर के पैसे जमा कर ही लिए थे !आज वोह आइसक्रीम खाने जा रजा था! अब इतनी महंगी चीज़ खानी थी तो उसके हिसाब से थोडा हुल्या भी अच्छा लगना चाहिए था !उसके लिए उसने कब से बक्से में पड़ी एक जोड़ी पेंट और शर्ट की  निकाली थी जो रखे रखे पुरानी हो चुकी थी लेकिन उसके लिए नई थी! बालों को ढंग से कंघा किया खुद को टूटे हुए आईने में घुमा फिरा कर देखा की वोह कैसा लग रहा है फिर वोह घर से निकला था !बड़ी शान से उसने दुकान से आइसक्रीम खरीदी थी !आइसक्रीम  को अपने हाँथ में देखकर उसे लग रहा था की उसका कितना बड़ा सपना पूरा हो गया है! उस से बर्दाशत नहीं हो रहा था मन कर रहा था बस यहीं पे खड़े खड़े खोले और खा जाए !लेकिन वोह इतनी महंगी चीज़ को अकेले में नहीं खाना चाहता था लोगों को दिखा कर खाना चाहता था !

वोह एक पार्क में गया वहां काफी लोग थे वोह आराम से एक बेंच पर बैठ गया और फिर स्टाइल से  आइसक्रीम के पैकेट को खोला था और फिर बच्चे जैसे खा रहे थे उसी स्टाइल में खाना शरू किया उस पे स्टाइल से धीरे धीरे ज़बान फेरने लगा! जैसे ही उसने आइसक्रीम को कटा उसका दिमाग घूमने  लगा  इतनी स्वादिस्ट चीज़ उसने आज तक अपनी पूरी ज़िन्दगी में नहीं खाई थी उसे लगा वोह हवा में घूम रहा है! मन कर रहा था बस एक सांस में ही सारी आइसक्रीम ख़त्म कर दे बर्दाशत नहीं हो रहा था ! लेकिन  सोचा  इतनी अच्छी चीज़ उसे अब दोबारा कभी नहीं मिलेगी तोह क्यूँ न मज़े ले ले कर जितनी देर तक हो सके खाते र!हें फिर आराम से धीरे धीरे ज़बान फेर कर आइसक्रीम के मज़े लेने लगा! जैसे ही उसने आइसक्रीम को दूसरी बार काटा  पता नहीं कैसे अचानक आइसक्रीम उसके हाँथ से छूट गई उसने तेज़ी से उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन पकड़ते पकड़ते बचाते बचाते भी वोह धडाम  से ज़मीन पर गिर गई! वोह बहुत तेज़ी से उसे उठाने के लिए झुका लेकिन उस से तेज़ी से सीधा हो गया जब उसे अगल बगल बैठे  लोगों का ख्याल आया !आइसक्रीम में रेत मिटटी लग गयी थी ज़मीं गरम थी वोह तेज़ी से पिघल रही थी

वोह बेबसी से आइसक्रीम को देख रहा था कितनी तकलीफ और परेशानी उठाई थी इस आइसक्रीम के लिए और वोह  उसके आँखों के सामने पिघल रही थी और वोह बेचारा उसे  खा भी नहीं सका था उसे अपनी साँसे रूकती हुई  महसूस हो रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे बस अकबक अकबक कर के उसे देखे जा रहा था! तभी एक कुत्ता कहीं से आकर जल्दी जल्दी आइसक्रीम को चाटने लगा गर्मी  थी उसे ठंडा ठंडा अच्छा लग रहा था !वोह कुछ सेकंड उसे देखता रहा जिस आइसक्रीम का वोह इतने दिनों से बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था जिस के लिए उसने क्या क्या झेला था आज उसके सामने मिटटी में पड़ी हुई थी उसका गुस्से से बुरा हाल हो रहा था  फिर उसने सारा गुस्सा उस पत्थर पे निकाला  वोह गुस्से से उठा और एक पत्थर उठाकर   पूरी ताकत से कुत्ते को मारा कुत्ता बेचारा आइसक्रीम खाने में मगन था अचानक से इतनी जोर के पत्थर ने उसका   दिमाग घुमा दिया वोह बेचारा कायं कायं करता गिरता पड़ता भागा!

साले कुत्ते इस आइसक्रीम के लिए मैने कितनी परेशानी उठाई कितनी तकलीफें झेलीं और इसे तू खाएगा जब मैं नहीं खा सका तो कोई नहीं खाएगा! ये ले उसने  गुस्से से आइसक्रीम को पैर से तेज़ तेज़ रगड़कर मिटटी में मिलाया उस पे  भी गुस्सा शांत नहीं हुआ तो बगल से हाँथ में रेत भरकर आइसक्रीम पे डाला और तेज़ तेज़ पैर से रगड़ा ये ले ये ले साले जहन्नम में जा मर फिर गुस्से से  आइसक्रीम पे खूब  थूका और आगे बढ़ गया  !

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