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Message of Peace

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag Birth Day | Facebook | gift | hate | rose

Read Hindi Short Story-When I was online, I got a Facebook friend request of a guy from neighbour country but was afraid for even internet friendship with him

http-www-internet-online

Hindi Short Story – Message of Peace
Photo credit: dhester from morguefile.com

उस दिन मैंने जैसे ही Facebook को खोला तो किसी अजनबी की Friendship Request देखी ।सोचा कि क्या करूँ ? फिर उसे जोड़ लिया अपने साथ ये सोचकर की क्या फर्क पड़ता है अगर दूसरे धर्म का है । और फिर एक महीने बाद अचानक से एक दिन उसने मुझे अपनी जुबान में अभिवादन किया । मैं काफी देर तक सोचती रही कि क्या करना चाहिए ? फिर मैंने भी उसे अपनी जुबान में नमस्ते कहा ।बातचीत का सिलसिला आगे बड़ा । पता चला कि सिर्फ धर्म ही नहीं उसका तो मुल्क भी अलग है । हमारे ही पडोसी देश का रहने वाला था वो जिसके साथ हमारी कट्टर दुश्मनी सदियों से चली आ रही है । इतनी नफरत ,इतना खौफ अब हमारे ज़हन में उस देश के लिए भर चुका है कि वहाँ के किसी भी इंसान से अब Facebook पर भी बात करने का दिल नहीं करता ।

तभी उसने पूछा, “क्या हुआ ? क्या सोचने लगे ?”

मैंने कहा ,” तुम दूसरे मुल्क के हो । तुम्हारी जुबान दूसरी है ।अगर तुमसे बात की तो पुलिस पकड़ लेगी ।”

वो हँसने लगा । कहने लगा कि पुलिस ऐसे नहीं पकड़ती । तुम डरो मत ।हम सिर्फ अपने-अपने देश के बारे में बात करेंगे ।मैं एक पत्रकार हूँ ।अपने देश के अखबार के लिए लिखता हूँ । अब मुझे भी उसके देश के बारे में जानने की इच्छा होने लगी ।मुझे लगा की हो सकता है कि जो हम सुनते हैं वो सब गलत हो। क्या पता इसकी ज़ुबानी कुछ और ही बताये । और मैं उसके साथ बात करने लगी । एक घंटे तक हमने अपने-अपने देश के बारे में बताया ।हां उसके मुल्क में आज भी दहशत का माहौल है ,आज भी वहाँ के लोगों के चेहरों पर एक खौफ है और आज भी वहाँ आतंकवाद की जड़ें पूरी तरह विराजमान हैं ।बातों ही बातों में उसने मुझे अपनी उम्र बताई । वो अभी 2 महीने पहले ही पूरे 28 का हुआ था । अब मानवता के नाते उसे जन्मदिन की बधाई तो देनी ही पड़ी ।उसने भी मुझसे मेरे जन्मदिन की तारीख पूछी ।मैंने कहा की जब Facebook पर पता चले तब एक अच्छा सा तोहफा भेज देना ।उसने हामी में सर हिलाया । मैं हँस दी क्योंकि मैंने उसके साथ मज़ाक किया था ।

तभी अचानक से मुझे याद आया किसी के जन्मदिन पर दिया जाने वाला गुलाब का फूल ।
मुझे लगा कि उसके मुल्क में तो गुलाब का फूल हो ही नहीं सकता क्योंकि जब हमारे मन में उस मुल्क के लिए इतनी नफरत हो तो वहाँ की हर चीज़ हमें नफरत से भरी हुई ही लगती है ।

मैंने उससे पूछा ,” क्या आपके मुल्क में गुलाब के फूल होते हैं ?”

वो हँस दिया और बोला ,”हाँ ,यहाँ बहुत से गुलाब हैं । कभी मौका मिला तो आपको जरूर भेंट करूँगा ।

रात काफी हो गई थी इसलिए मैंने अपना कंप्यूटर बंद किया और सो गयी । उस दिन के बाद मैंने कभी भी उससे Online में बात नहीं की ।वो रोज़ मुझे Offline में सन्देश भेज कर बात करने के लिए कहता मगर मुझे कुछ ठीक सा नहीं लगता था इसलिए मैं उसके द्वारा भेजे गए सन्देश को सिर्फ पढ़ती और मुस्कुरा देती ।

25 फरवरी …..यानि मेरा जन्मदिन । घर पर सभी लोग अपने कामों में व्यस्त थे ।तभी दरवाज़े की घंटी बजी । देखा सामने Courier  वाला खड़ा था । पूछा तो पता चला कि उसके मुल्क से आया है । पहले तो मुझे बहुत घबराहट हुई कि कहीं Courier में कोई बम ही न रखा हो ।पर क्योंकि वो लेना जरूरी था इसलिए उसे लेकर मैंने खोलना शुरू किया । देखा तो उसमे एक गुलाब था …..जी हाँ …..लाल सुर्ख रंग का गुलाब जिसके साथ एक Greeting Card पर मेरे लिए जन्मदिन की बधाई भी लिखी हुई थी । मैंने उस गुलाब के फूल को हाथ में थाम लिया लेकिन मुझे न तो उसमे कोई सुगंध आई और न ही उसका रंग अच्छा लगा ।

मैं क्या करती ? नफरत ही उसके मुल्क के लिए इतनी ज्यादा थी । मैंने उस गुलाब को कमरे में एक कोने में रख दिया ।शाम को वही रोज़ की दिनचर्या के बाद मैंने कंप्यूटर खोला और सोचा कि Facebook पर जाकर उसे धन्यवाद कह दूँ । Login करने पर देखा तो वो Online था ।

उसने पूछा ,”  आपको गुलाब कैसा लगा ?”

मैंने कहा ,” तुम्हारे मुल्क का गुलाब …..सच पूछो तो गुलाब है ही नहीं ।न तो उसमे वो रंग है और न ही वो खुशबू ।”

उसने कहा ,” जानता हूँ ……उस तरफ इतनी नफरत है कि कोई भी गुलाब वहाँ के लोगों को फीका ही लगेगा मगर तुम उस गुलाब को एक बार अपने हाथों में दुबारा लेकर देखो और सिर्फ इतना सोचो कि वो गुलाब तुम्हारे जन्मदिन का गुलाब नहीं है । वो है अमन का गुलाब …..सिर्फ अमन का ।”

मैं दौड़ कर कमरे में गयी और दुबारा से उस गुलाब को हाथ में उठा लिया ।इस बार भी वो गुलाब वैसा ही था ……रंगहीन …..बिना सुगंध लिए हुए …..मगर इस बार वो गुलाब मुझे अपनी और आकर्षित कर रहा था । मैंने उसे सूँघा तो उसमे से एक अलग सी महक आयी । धीरे-धीरे उसका रंग भी मुझे अब लाल लगने लगा । मैंने उसे कसकर अपने हाथों में पकड़ लिया । अब मुझे लगने लगा कि सच में सिर्फ हमारी सोच का ही फर्क है क्योंकि उसका भेजा हुआ गुलाब …..मुझे अब एक अमन का सन्देश दे रहा था ….सिर्फ अमन का ।।

***

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