• Home
  • About Us
  • Contact Us
  • FAQ
  • Testimonials

Your Story Club

Read, Write & Publish Short Stories

  • Read All
  • Editor’s Choice
  • Story Archive
  • Discussion
You are here: Home / Hindi / GARIBI

GARIBI

Published by vidyutpatel in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag death | loan | money

GARIBI – Hindi Short Story of a poor farmer who was in debt and had no money to arrange medical treatment for his wife. Finally he took a decision but did it work?

hindi-short-story-dry-tree-house-land

GARIBI – Hindi Short Story
Photo credit: click from morguefile.com

गंगा के सपाट मैदानी इलाके में बसा एक छोटा सा गांव कीरतपुर था. जिसमे कुल मिलाकर यही कोई पचास साठ घर होंगे. गाँव के पास से गुजरने वाली एक छोटी सी नहर के कारण गाँव पूरी तरह से आबाद था. गाँव में बड़े बूढ़े सब मिलाकर दो तीन सौ से ज्यादा आबादी न थी .गाँव में सब जाति के लोग थे लेकिन छोटी जाति के लोगों की संख्या ज्यादा थी .इसी गाँव के एक किनारे पर घास फूस से बना टूटा फूटा घर बदलू का था.

इधर बदलू कई दिन से बहुत परेशान था .उसकी बीवी बहुत बीमार थी .उसके पेट में बहुत दर्द था जिसके कारण वह दर्द से कराह रही थी .रात काफी गुजर चुकी थी .उसने किसी तरह अपनी बेटी को तो सुला दिया लेकिन बदलू को अब भी नींद नहीं आ रही थी .वो अंदर गया और काफी देर तक अपनी बीवी के पास बैठा रहा फिर आकर सोने का प्रयास करने लगा .उसने जरा सा झपकी ली ही थी कि बीवी के कराहने की आवाज से फिर उसकी नींद खुल गई .वह धीरे से दबे पाँव अपनी बेटी के पास गया .बेटी को आराम से सोया देखकर उसे कुछ राहत मिली .

इस साल बारिश बहुत कम हुई थी. पास की नहर का पानी भी पूरी तरह से सूख चूका था. भाँदो का महीना आ चुका था लेकिन बादलों का कहीं नामो निशान नहीं था. दूर दूर तक कहीं भी हरियाली नहीं दिखाई दे रही थी . बदलू ने जो फसल बोई थी वह पूरी तरह से सूख गई थी . बदलू के हाथ में अब एक भी पैसा न बचा था. जो दो चार रुपये बचे भी थे वह भी औरत की बीमारी में खर्च हो चुके थे .वह सोच रहा था कि अगर इस साल फसल अच्छी हो जाती तो वह साहूकार का सारा कर्ज चुका देता लेकिन अब वह क्या करे ?जब बहुत कोशिश करने पर भी नींद न आयी तो उसने बाहर आकर देखा, बाहर अभी बहुत अँधेरा था. वह सोंचने लगा कि इससे ज्यादा अँधेरा तो उसकी खुद की जिंदगी में फैला हुआ था .उसने आसमान की और देखा आसमान साफ़ और तारों से भरा हुआ था .वह फिर वापस आकर उस टूटी हुई चारपाई पर लेट गया .सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि सूर्य की किरणे अंदर तक आ रही थी .उसने अपनी बेटी को जगाया और लोटे में पानी लेकर उसका चेहरा धुलने लगा. बर्तनों के नाम पर उसके पास अब यही एक लोटा और एक थाली बचे थे. बाकी बर्तन वह पहले ही साहूकार को गिरवी रख चुका था. अंदर जाकर उसने देखा, उसकी बीवी आराम से सो रही थी बदलू ने उसे जगाना ठीक नहीं समझा .

बाहर आकर उसने देखा दोनों बैल भूखे थे फिर भी चारे के इंतजार में शाँति से खड़े थे. बदलू अंदर गया और एक टोकरी भूसा लाकर उनके सामने डाल दिया .बदलू जानता था कि वह इससे ज्यादा भूसा बैलों को नहीं खिला सकता क्यों कि थोडा सा ही भूसा अब और बचा हुआ था .दिन धीरे धीरे चढ़ने लगा .उसने रोटियां बनाने के लिए आटा निकाला पर देखा कि आटा तो बस आज के लिए ही था .उसने उस आटे से चार रोटियां बनाई जिसमे से दो रोटियां बेटी को खिला दी, एक रोटी खुद खाई और एक रोटी बीवी के लिए रख दी .

बीवी के कराहने की आवाज फिर आने लगी थी. वह बहुत परेशान हो गया .उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसका इलाज कैसे कराये? घर में एक रूपया भी नहीं था .वह पहले ही साहूकार से पैंतीस रुपये कर्ज ले चुका था .अब तो साहूकार ने भी उसे और कर्ज देने से मना कर दिया था .वह अंदर गया और एक नजर अपनी बीवी को देखा .यह साहूकार के आने का समय हो गया था. वह उससे कर्ज के पैसे वापस मांगेगा, हो सका तो दो चार गालियां भी सुनाएगा .उसने मन ही मन सोंचा कि गालियां तो वह सुन लेगा पर पैसे कहाँ से लौटाएगा? उसने वहाँ पर रुकना ठीक नहीं समझा. इसलिए अपना गमछा उठाकर वह जल्दी से घर से बाहर चला गया .

जब वह वापस आया तो काफी रात हो चुकी थी .उसके आते ही उसकी बेटी दौडकर उससे लिपट गई. बदलू जानता था कि उसे भूख लगी है .उसने जितना भी आटा बचा था उसे गूंथकर तीन रोटियां बनाई .दो रोटियां फिर उसने बेटी को खिला दी .एक रोटी बीवी के लिए रख दी और खुद पानी पीकर लेट गया. बदलू लेट तो गया पर उसे भूख के मारे नींद नहीं आ रही थी .रह रह कर उसे साहूकार के कर्ज की चिंता सता रही थी .वह न तो बीवी का इलाज करवा पा रहा था और न ही साहूकार का कर्ज चुकता कर पा रहा था. बैलों का भूसा भी खत्म होने वाला था और उसके पास उन्हें खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था .उसने बैलों को बेचने का फैसला कर लिया .उसने सोंचा कि बैलों को बेचकर साहूकार का कर्ज भी निपटा देगा और बीवी का इलाज भी करा देगा .इस बात से उसे कुछ राहत महसूस हुई और वह निश्चिंत होकर सो गया .

अगले दिन जल्दी ही वह बैलों को लेकर साहूकार के पास पहुँच गया .इससे पहले कि साहूकार कुछ कहता बदलू ने उसके आगे अपना गमछा रख दिया “सरकार मेरी बीवी बहुत ज्यादा बीमार है और तो कुछ मेरे पास है नहीं, मेरे बैल आप रख लीजिए ,कर्ज से जो रुपये बढे वो मुझे दे दीजिए.”

साहूकार ने हिसाब लगाया उसका कर्ज अब ब्याज लगाकर पछ्ह्त्तर रुपये हो चुका था जबकि उसके बैल बहुत ज्यादा करने पर भी साठ रुपये से ज्यादा के न ठहरते थे .इस तरह बदलू पर अब भी पन्द्रह रुपये का कर्ज बनता था. बदलू को उसने और पन्द्रह रुपये लाने को कहकर भगा दिया. बदलू उदास मन से घर की ओर चल दिया. उसकी आखिरी उम्मीद भी टूट चुकी थी. उसके कदम यहाँ वहाँ पड़ रहे थे .घर पहुँचने पर उसने देखा कि उसके घर के बाहर भीड़ जमा थी . बदलू का दिल तेजी से धड़कने लगा. वह वहीँ पर सिर पकड़ कर बैठ गया. उसकी बीवी उसे छोड़कर जा चकी थी. उसकी आँखों से टप टप आंसू बहने लगे .अपनी गरीबी के कारण न तो वह अपनी बीवी का इलाज करा पाया ,न अपने बैलों को बचा पाया और न ही उस साहूकार का कर्ज चुका पाया.

__END__

Read more like this: by Author vidyutpatel in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag death | loan | money

Story Categories

  • Book Review
  • Childhood and Kids
  • Editor's Choice
  • Editorial
  • Family
  • Featured Stories
  • Friends
  • Funny and Hilarious
  • Hindi
  • Inspirational
  • Kids' Bedtime
  • Love and Romance
  • Paranormal Experience
  • Poetry
  • School and College
  • Science Fiction
  • Social and Moral
  • Suspense and Thriller
  • Travel

Author’s Area

  • Where is dashboard?
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Contact Us

How To

  • Write short story
  • Change name
  • Change password
  • Add profile image

Story Contests

  • Love Letter Contest
  • Creative Writing
  • Story from Picture
  • Love Story Contest

Featured

  • Featured Stories
  • Editor’s Choice
  • Selected Stories
  • Kids’ Bedtime

Hindi

  • Hindi Story
  • Hindi Poetry
  • Hindi Article
  • Write in Hindi

Contact Us

admin AT yourstoryclub DOT com

Facebook | Twitter | Tumblr | Linkedin | Youtube