तुम्हीं हो बंधू , सखा तुम्हीं हो !- All in All (This funny Hindi story takes example of Salman Khan case of allegedly hunting blackbuck (antelope) and highlights issues of Indian judiciary system.)
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Hindi Short Story – All in All……!
Photo credit: heyjude from morguefile.com
वह दिन ज्यादा दूर नहीं है , जब सल्लू भाई का भाग्य का फैसला भी हो जाएगा . क्या होगा कोई नहीं जानता . सभी कुछ पेन्डोरा – बॉक्स में बंद है. सल्लू भाई किसी परिचय का मोहताज नहीं . “ हम आप के हैं कौन ’ फिल्म ने शिखर तक पहुंचा दिया उनको . इतने लोकप्रिय हुए कि सभी के दिलों में राज करने लगे . भोला – भाला मासूम चेहरा , बात – चीत में शहद की मिठास , व्यवहार में इतने जिंदादिल कि कोई एक बार मिल ले तो उसी का होकर रह जाय .
वह फिल्म ‘ हम आप के हैं कौन ’ इतनी धाँसू पारिवारिक फिल्म थी कि मेरी पत्नी बसन्ती ( शोलेवाली नहीं ) जिद पर उतर आयी कि उसे हर हाल में यह फिल्म देखनी है , उसकी सहेली अपने मैके दुर्गापुर से देख कर आयी है. दुर्गापुर मेरे घर गोबिंदपुर से एक सौ किलोमीटर में अवस्थित है. वो जमाना तो था नहीं कि बसन्ती खटवास – पटवास ले ले या कोप – भवन में चली जाय और अपनी मांग मनवाने के लिए मुझे विवश कर दे . यह तो कलयुगी जमाना है. इसलिए वह दिवस क्या रात्रि को भी मेरे जान के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी. ऐसे मामलों ( पति – पत्नी के बीच के झगडे ) में कोई पड़ोसी भी बीच – बचाव करने के लिया नहीं आता. कभी दाल में नमक नहीं , तो कभी चाय में चीनी नहीं . मैं समझ गया कि ये सब मानसिक असंतुलन की वजह से हो रहा है. कोई नहीं चाहता कि उसकी पत्नी पागल हो जाय क्योंकि जो सुख पत्नी से मिलती है , वह संसार की किसी भी वस्तु से नहीं – ऐसा मेरा मत है .
मैंने एक दोस्त की पत्नी के कान भर दिए – उकसाया कि दुर्गापुर में एक अच्छी पिक्चर लगी है . टेक्सी कर ली है . आप को भाडा नहीं देना पड़ेगा , हम बियर करेंगे . दुर्गापुर में तो आपकी छोटी बहन भी रहती है , उससे भी मिलना – जुलना हो जायेगा अर्थात रथ भी देखना होगा और केला भी बेचना होगा . ( यह बंगला भाषा का एक प्रचलित कहावत – ‘ रोथ देखा , कोला बेचा ’ का रूपांतर/ अनुवाद है. ) बस क्या था , हम दो परिवार एक टेक्सी से दुर्गापुए निकल गये . टिकट तो सब हाथों हाथ बिक चुकी थी. ब्लेक में टिकट लेनी पडी . मरता क्या न करता ! सिनेमा देखकर देर रात को लौटे , लेकिन दिलोदिमाक में यह फिल्म महीनों तक छाई रही. सलमान खान और माधुरी दीक्षित दिल पर राज करने लगे . कहने का तात्पर्य यह है कि हम उसके फैन ( मुरीद ) हो गये. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में सुपर हीट ही नहीं हुई , बल्कि कारोबार में एक नया क्रितीमान स्थापित किया. जब पूरे देश में ‘हम आप के हैं कौन’ ने तहलका मचा दिया तो हमारे देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर शंकर दयाल शर्मा भी अपने को रोक नहीं सके . अपने परिवार के साथ इन्होनें भी इस फिल्म का लुत्फ़ उठाये .
अभी हाल में सलमान खान की दो फ़िल्में ‘दबंग’ और ‘एक था टायगर’ ने भी लोगों का दिल जीत लिया. बॉक्स ऑफिस में सुपर हीट तो हुयी ही , करोड़ों का कारोबार किया सो अलग. इसमें दो मत नहीं कि सलमान खान ने अपने बेमिशाल रोल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध ही नहीं किया , अपितु एक अमिट छाप छोड़ गया जन – मानस पर.
बर्तमान समय में सल्लू भाई काले हिरण के शिकार के अभियुक्त हैं . सौभाग्य कहिये या दुर्भाग्य सल्लू भाई सूटिंग के सिलसिले में राजस्थान गये हुए थे . भूल से या होशोहवास में काले हिरण का शिकार कर बैठे . शिकार करना प्रतिबंधित था . राजस्थान ऐसे भी शूरवीरों का प्रदेश रहा है आदिकाल से ही. महाराणा प्रताप की वीरता जग जाहिर है . उन्होंने जीते जी मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की , भले ही उन्हें जंगलों की खाक छाननी पडी और घास की रोटी तक खानी पडी.
काले हिरण के शिकार की बात दावानल की तरह फ़ैल गयी – प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी . मिडिया में हेड – लाईन न्यूज बन गया.
फिर क्या था , संरक्षकों ने इस जुर्म के आलोक में मुकदमा दायर कर दिया . सल्लू भाई के अधिवक्ताओं ने उन्हें बचाने की जी – तोड़ कोशिश की ,लेकिन सब व्यर्थ. निचली अदालत नें उन्हें पांच साल की सजा सुना दी . उपरी अदालत में अपील हुयी तो अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सजा को बरकरार रखने का फैसला सुना दिया . बात बनती क्या और भी बिगडती चली गयी . बड़ी उम्मीद थी की वरी हो जायेंगे , निर्दोष साबित होकर बाईज्जत छूट जायेंगे , लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब उससे भी बड़ी अदालत में मुकदमे की सुनवाई होनेवाली है . किसी को कुछ नहीं पता कि वे दोषमुक्त हो जायेंगे या सजा पुनः बरकरार रहेगी या सजा कम हो जायेगी .
यहाँ यह स्पष्ट कर देना अप्रासंगिक न होगा कि संजू बाबा और सल्लू भाई – दोनों का केस कमोबेस एक सा है. संजू बाबा गैरकानूनी हथियार रखने के जुर्म में पकडे गये तो सल्लू भाई प्रतिवंधित विलुप्तप्राय चिंकारा प्रजाति के काले हिरण का शिकार करने के जुर्म में . हाल ही में संजू बाबा का भाग्य का फैसला हो गया . उन्हें पांच साल की सजा हो गयी. जुर्म तो जुर्म होता है चाहे छोटा हो या बड़ा . अदालत ने यह नहीं देखा कि संजू बाबा फ़िल्मी दुनिया के सुपर स्टार हैं , बहुत बड़ी हस्ती हैं .
अब उसी कानून का लम्बा हाथ सल्लू भाई के पीछे भी हाथ धोकर पड़ा हुआ है. जो बात मेरी मगज में नहीं आ रही है वह यह है , ‘ आखिर क्या जरुरत थी काले हिरण का शिकार करने की ? ’ अगर अपने चमचों से कह देते तो वे शिकार कर हिरणों का ढेर लगा देते. किसी को कानोकान पता भी नहीं चलता. दूसरी बात अगर पता भी चलता तो जो आफत उनके ऊपर आज आयी हुयी है , वो आफत उनके चमचों पर होती . वे संभाल लेते , लेकिन जब उनके ऊपर आ गयी है तो कौन संभालेगा ? सहानुभूति तो सभी दिखाते हैं , परन्तु दूर – दूर तक कोई ऐसा सख्स दिखाई नहीं देता जो इस संकट से सल्लू भी को उबारे . बस भगवान का ही एक सहारा है . ऐसे बहुत से काम यहाँ ( हमारे देश – प्रदेश में ) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से होते रहते हैं जो लोग खुद न करके अपने चमचों से करवाते हैं . ‘ अपुन ’ का बाल भी बांका होता है क्या ?
दूसरी बात यह है कि सल्लू भाई कभी मसूरी नहीं गये होंगे . यदि जाते तो यह घटना नहीं घटती . देहरादून से मसूरी करीब 30 किलोमीटर पहाड़ पर अवस्थित है . मसूरी सी लेवल से 1876 मीटर ऊँचाई पर है. यह देश के ख़ूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है. यहाँ सैलानियों का आना – जाना बारहों महीने लगा रहता है. देहरादून की तलहटी से थोड़ी दूर ऊपर जाने के बाद ही ‘हिरणों का अभ्यारण’ सड़क की दाहिनी ओर मिलता है. इस अभ्यारण्य के मुख्य द्वार के जस्ट बगल में एक सूचना पट लगा हुआ है जिसमें साफ़ – साफ़ शब्दों में इबारत लिखी हुयी है ‘ My dear deer, you are very dear ’ ( मेरे प्रिय हिरण , तुम बहुत प्रिय हो ) . मुझे लगता है कि सल्लू भाई मसूरी जरूर गये होंगे , लेकिन इस सुचना – पट की इबारत पर ध्यान नहीं गया होगा . ऐसी भूल कभी – कभार हो जाती है हमसे भी. सल्लू भाई बहुत व्यस्त आदमी हैं , उनसे भूल हो गयी , तो कौन सी आश्चर्य की बात है ? वे भी तो हमारे जैसे ही इंसान हैं. कहा भी गया है , ‘ To err is human , To forgive is divine ’
कभी मेरे दिल में यह ख्याल आता है कि एक साथ कई सुपर हिट फिल्म देने की वजह से सल्लू भाई अपने विरोधियों की आँखों में खटकने लगे थे . कहीं ऐसा तो नहीं , उनका कोई विरोधी ही चाल खेल गया . इधर हिरण के शिकार के लिए उकसा दिया हो और उधर पुलिस को खबर कर दी हो. पुलिस तो ऐसी ही ख़बरों के इन्तजार में नयन – पांवड़े बिछाये रहती है. जब इतना तगड़ा जाल होगा तो फिर फंसने से कौन रोक सकता था ? अगर मैं गलत नहीं हूँ , सल्लू भाई थोड़ी समझदारी से काम लेते , तो वे हिरण के झमेले में नहीं पड़ते.
यदि सल्लू भाई रामायण पढ़े होते , तो वे सपने में भी हिरण के शिकार के बारे नहीं सोचते . एक हिरण के शिकार के चक्कर में भगवान रामचंद्र को कितना कष्ट उठाना पड़ा था. धर्मपत्नी सीता का हरण हो गया . उनकी खोज में दर- दर की ठोकरें खानी पडी. समुद्र पर पूल बनानी पडी. रावण से युद्ध करना पड़ा. कितनी यातनाएं सहनी पडी उनको – यह सर्वविदित है. यह तो मानना ही पड़ेगा कि हिरण का शिकार बड़ा ही अशुभ होता है, बहुत ही कष्टकर और दुखदायी होता है. हिरण की आत्मा भटकती रहती है . उस आत्मा को तबतक चैन नहीं मिलती , जबतक अपने हत्यारे को सजा नहीं दिला लेती.
देखा रामखेलावन पीछे के दरवाजे से आ रहा है. मुझे गहरे चिंतन में डूबता – उतराता देखकर सवाल ठोंक दिया , ‘ हुजूर ! किस सोच में पड़े हैं और किस बात का है गम ? ’
संजू बाबा का भाग्य का फैसला हो गया . अब सल्लू भाई की चिंता सता रही है .
और कौनो काम – धाम नहीं है क्या ? फजूल की मगजमारी कर रहे हैं , हुजूर !
यदि सल्लू भाई की सजा – पांच साल कारावास , बरकरार रही तो क्या होगा ?
होगा क्या दिलेरी और मस्ती के साथ संजू बाबा की तरह जेल काट लेंगे . पुणे का यरवदा जेल तो विश्व प्रसिद्ध है . हमारे राष्ट्र – पिता महात्मा गांधी , उनकी धर्मपत्नी ‘ बा’ उनके निजी सचिव यहाँ जेल काट चुके हैं. संजू बाबा ने भी यहाँ महीनों मजे से गुजारे .
हुजूर ! तो चिंता करनेवाली क्या बात है ? जैसे संजू बाबा मजे से गुजारे , सल्लू भाई भी मजे से गुजार लेंगे. अंग्रेजों का जमाना तो है नहीं कि मुजरिमों के साथ बदसलूकी की जायेगी. आजकल तो जेलों में भी सारी सुख – सुविधाएँ उपलब्ध हैं .
मैंने बात आगे बढ़ायी , ‘रामखेलावन !
जी , हुजूर !
यदि कुछ ऐसा करिश्मा होता है , ईश्वर की कृपा होती है और सल्लू भाई बाईज्जत वरी हो जाते हैं …
कैसे बाईज्जत वरी हो जायेंगे , हुजूर ?
भाई रामखेलावन ! ऐसे अनेकों मुकदमें हैं जिनमें निचली अदालत ने अभियुक्त को सजा दे दी ,लेकिन उपरी अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए और / या अभियुक्त का पिछली रिकार्ड देखते हुए इत्यादि इत्यादि … अभियुक्त को बाईज्जत वरी कर दिया है या सजा कम कर दिया है. तो मैं क्या कह रहा था ? …
यदि कुछ ऐसा करिश्मा होता है , ईश्वर की कृपा होती है तो … रामखेलावन ने याद दिलाई .
तो कोई आश्चर्य की बात नहीं कि सल्लू भाई बाईज्जत वरी न हो जाय.
यदि अल्ला ताला के रहमोकरम से सल्लू भाई बाईज्जत वरी हो जाते हैं तो हमारी तरफ से उनको एक माकूल सलाह ( suggestion ) है कि वे हिरणों के लिए एक सुन्दर सा ( very beautiful ) अभ्यारण्य बनवा दें – प्रेफ्रेब्ली लोनावाला या खंडाला में और सुबहोशाम टहला करें . हिरणों से प्यार व मोहब्बत करें . अहिंसा परमो धर्म मंत्र का जाप करें . नायक हैं , जब भी मन बोझिल हो जाय तो इन पंक्तियों को भी गुनगुनाकर अपना बोझिल मन हल्का कर सकते हैं , “ तुम्हीं हो माता , पिता तुम्हीं हो , तुम्हीं हो बंधू , सखा तुम्हीं हो . ’’
हुजूर ! इसी बात पर एक – एक कप चाय हो जाय . रामखेलावन ने प्रस्ताव रख दिया .
नेकी और पूछ – पूछ . मैंने उत्साहवर्धन हेतु दो मीठे शब्द कह डाले . रामखेलावन का मुखारविंद जो थोड़ी देर पहले मुरझाया हुआ था , अब कमल – सा खील उठा .
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लेखक : दुर्गा प्रसाद |