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This is my country India

Published by mukesh.pandey in category Social and Moral with tag article | corruption | India | moral | value

Hindi Article on India

My Country India - Hindi Article on India

[My Country India – Hindi Article on India]

हमारा देश, आपका देश, हर उस नागरिक का देश जो, उसे एक पहचान देता है, उसे एक प्रेरणा देता है, जिसकी वजह से उसे पूरी दुनिया में पहचाना जाता है । विश्‍व में न जाने कितने देश होंगे, जिसके बारे में सबके पास शायद जानकारी न हो, परन्तु बहुत से महापुरूष दुनिया में ऐसे हुए जिनकी वजह से उस देश के बारे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी हो ।

यह जो मेरा देश भारत जिसका इतिहास काफी पुराना है, जिसको बड़े से बडे दर्शनशास्त्रियों ने अलग-अलग नाम से परिभाषित किया है, यह हमारे लिए तथा पूरे भारतवासियों के लिए बड़े ही फक्र की बात है ।

हमारा देश भारत जहां इतनी विविधतायें होने के बावजूद भी एकता, प्रेम व शांति का प्रतीक बना हुआ है, यह बहुत ही असाधारण बात है । इतने बाहरी आघातों के बावजूद भी अपने को कभी विचलित नहीं होने दिया है । इसके लिए हम सबको शुक्रगुजार होना चाहिए उन लोगों का, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी, इस देश के लिए, हमारे-आपके लिए, आने वाली नस्लों के लिए सबकुछ अर्पित कर दिया ।

आज हम आजाद उस पंक्षी की तरह हैं, जिसका बसेरा पूरे विश्‍व, यूँ कहें तो पूरे भूखण्ड के हर कोने में है, कोई ऐसा देश नहीं होगा, जहां अपने देश की महक और संस्कृति की खुशबू न मिले। जरूरत है इस खुशबू को बनाये रखने की , और जो प्रेम व शांति का संदेश हमारे पूर्वजों ने दुनिया को पढ़ाया है, उसे याद दिलाते रहने की । यह अलग बात है कि बहुत से पड़ोसी हमारी इस अखण्डता और हृदय विशालता से जलते रहते हैं, तो इसका मतलब यह तो नहीं की हम भी इंसानियत का दामन छोड़ दें ।  हम कैसे भूल जायें की जो शांति का संदेश, बुद्ध व बापू ने दुनिया को पढ़ाया, जिस हृदय-विशालता और धर्म समन्वय से पूरी दुनिया को एक परिवार मानने का संकल्प हमने लिया है, उसे आसानी से कैसे भूल जायें –

“अगर नफरत करने वाले नफरत का दामन नहीं छोड़ते तो हम प्यार करने वाले मोहब्बत और प्रेम का दामन क्यों छोड़ दें “!

क्योंकि हमने हमेशा दूसरों को अतिथि के रूप में देखा है, और हमारी संस्कृति के अनुसार हर अतिथि भगवान की तरह माना गया है, यह अलग बात है कि उन अतिथियों की नीयत शैतानों की तरह रही। हमारे देश पर न जाने कितने हमले हुए न जाने कितनी बार इसकी संस्कृति को बर्बाद करने की कोशिश की गयी । कभी मुगलों ने तो कभी अंग्रेजों ने हमारे ऊपर बहुत अत्याचार किये, परन्तु हमने सबको गले लगाया, और आज भी लगाते हैं, और हमेशा लगाते रहेंगे ।

जिन मुगलों ने इस देश को बर्बाद करने की कसम ली, जिन्होंने इसे कभी सोमनाथ के रूप में लूटा तो कभी, हमारी धर्म और संस्कृति का बालात्कार किया । परन्तु हमने उन्हें, प्रेम व शांति से अपने बड़प्पन का एहसास कराया, अगर ऐसा नहीं होता तो अकबर हमारे इतिहास के पन्‍नों में स्वर्ण अक्षरों से महान नहीं कहलाता ।

हमने हमेशा दुनिया को बिना भेदभाव के अपना परिवार मानकर फूल ही प्रस्तुत किया है, और वे हमें बार-बार जख्म देने की कोशिश में लगे रहते हैं, परन्तु आज की स्थिति यह है कि पूरी दुनिया ने हमारा लोहा माना है, और मानते रहेंगे।

क्योंकि आज दुनिया के महान वैज्ञानिक और विकसित देश जिन सपनों को साकार करने में प्रयासरत हैं, वे कहीं न कहीं हमारी असाधारण उपलब्धियों का ही परिणाम है । आप किसी भी क्षेत्र में देख सकते हैं, बात शुरू करते हैं राजनीति से, तो दुनिया को राजनीति करने की तरीके और सहजता से लोगों के हृदय में जगह बनाने का श्रेय हमारे ही नेताओं को जाता है । क्योंकि दुनिया के लिए लड़ने वाला कोई नेता हुआ तो वो गाँधी और सुभाष हुए जिन्होंने अपने लोगों के अलावा दूसरे देशों में अपनी असाधारण प्रतिभा से लोगों के हृदय में जगह बनायी ।

आज भी दुनिया विवेकानन्द जी को एक अनूठे रहस्य की तरह ही जानती है, जिन्होंने बहुत ही कम समय में पूरे संसार को नैतिकता और उनके कर्तव्यों का पाठ पढ़ा गये । आज भी डॉ. भामा अमेरिका जैसे देशों के लिए रहस्य ही है । खेल की बात करें तो ध्यानचंद से लेकर सचिन तेंदुलकर के आसपास दुनिया का कोई भी खिलाड़ी अपने-आप को बौना ही पाता है । शिक्षा की बात करें तो दुनिया यहां की शिक्षा, और यहां के इंजीनियरों और डॉक्टरों से लेकर अर्थशास्त्रियों के लिए अपना आँचल बिछाये रहते हैं । ये सब हमारे लिए बड़े ही फक्र की बात है,और क्यूं न हो । क्योंकि ये सब हमने बड़े ही बलिदान और त्याग के बाद पाया है ।

हमारे बहुत से अपने, जो देश के बाहर रह रहे हैं और जो आज अपने कार्यों के वजह से, व्यवसाय के वजह से या शिक्षा एवं रोजगार की वजह से भले ही बाहर हैं, लेकिन वे हमेशा ही अपने देश , अपने लोगों के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत ही नहीं बल्कि कुछ कर गुजरते हैं । जिससे हम सभी  को तथा इस देश को बड़ा ही नाज होता है, चाहे वो सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला हों या उद्योगपति, लक्ष्मीनिवास मित्तल जी क्यों न हों । ये कोई भी प्रगति का कार्य करते हैं, तो हम यह महसूस करते हैं, कि हमारा तिरंगा आज ब्रिटेन में लहरा रहा है, आज ब्रिटेन जिसने भारत पर लगभग 200 सालों से अधिक दिनो तक राज किया, वहां पर हमारा मित्तल अकेले ही हजार सालों तक राज कर सकता है, इसे हम ब्रेन-ड्रेन न कहकर ब्रेन-गेन अवश्य कह सकते हैं ।

मैं उम्मीद करता हूँ, कि यहां का हर वो नागरिक अपने-आप पर यह गर्व अवश्य करता होगा कि उसके दिल में अपने इस वतन के लिए मर-मिटने की और कुछ नया कर गुजरने का उत्साह जरूर  आता होगा । और हो भी क्यों नहीं क्योंकि उसके रबों में भी तो यही खून दौड़ता है।

आज की तरीख में भी यहां का हर सिपाही, हर जवान, अपने आप को अपने परिवार, अपने लोगों के बजाय देश के लिए शहीद होने पर फक्र करता है । तभी तो पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश जैसे बुरी नजर वाले देशों को इधर आँख घुमाने पर भी सहमना पड़ता है। हमने आजादी के बाद कई छोटी बड़ी लड़ाइयाँ अवश्य देखी हैं, जिसमें हमारे अनेक वीर सपूत अपने देश की रक्षा, सरहदों को बरकरार रखने के लिए हँसते-हँसते शहीद हो गये, अगर उन शहीदों की माताओं से पूछा जाय, उनकी विधवाओं से पूछा जाय की आप का बेटा शहीद हो गया, इस पर आपका क्या कहना है, आपके पति शहीद हो गये आप पर क्या असर पड़ेगा? तो हर माँ का एक ही जवाब होता है, कि अगर मेरे और बेटे होते तो वे भी इस देश के लिए कुर्बान हो जाते।

इससे आप अनुमान लगा सकते हैं, कि हम अन्दर से भी उतने ही मजबूत हैं, जितने की बाहर से ।उस देश का विकास क्यों नहीं होगा? उस देश का पताका क्यों नहीं लहरायेगा, जहां पर हर व्यक्‍ति अपने-आप को देश पर मर मिटने के लिए हमेशा तैयार रखता है ।

आप सोचेंगे कि आज की तारीख में हमारे देश में इतना भ्रष्टाचार है, इतनी लाचारी, बीमारी है, जो कभी ठीक से खड़ा नहीं हो सकता था, वो क्या किसी का नेतृत्व करेगा? वो क्या किसी को सहारा देगा?

तो आपका यह सोचना और ऐसा आंकलन करना बिल्कुल गलत और अप्रमाणित है, क्योंकि अगर ऐसा होता तो दुनिया में बड़े-बड़े अनुसंधान नहीं होते, दुनिया के शक्‍तिशाली देश अपना भविष्य, अपना कारोबार, यहां के सहयोग के बिना निर्धारित नहीं कर पाते । आज फ्रांस, जर्मनी इजराइल, अमेरिका, रसिया जैसे देश अपनी दिलचस्पी हममें नहीं रखते ।

अंत में एक बार फिर से पूरे देशवासियों, भारतवासियों, हिन्दुस्तानियों से यह आग्रह व उम्मीद करता हूँ, कि वे हमारे इस देश को एक ऐसा उपहार दें, जिससे पूरी दुनिया नतमस्तक हो जाये ।

जय हिन्द

~ मुकेश पाण्डेय

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