Shaadi (marriage)- beginning of a new journey.
Life is all about a journey .It begins with the birth of a person and ends with the death.After spending twenty to thirty years of his life why someone is saying marriage is the beginning of a new journey. ….
जीवन की शुरुआत तो वर्षो पहले हुई
एक सफ़र का आगाज तो जन्म के साथ हुआ
सफ़र चलती रही,जिन्दगी गुजरती रही
फिर अचानक से ये नई शुरुआत
कंहा से आ गईं ???
सच ही तो हैं सफर के बिच में राही का अचानक से ये कहना की एक नई सफ़र की शुरआत कुछ अटपटा सा लगता है.
परन्तु सच्चाई वो नही जो हमे प्रथम दृस्त्या (नज़र)में लगे ,सच्चाई के कई मायने होते है और सच्चाई को समझने के लिये बातो की गहराई में जाना अति आवश्यक होता है.
जीवन – Life is a cycle , where everything comes step by step starting from childhood to second childhood.
In between these two ,a stage comes where we get married.Now lots of thing we have to understand
1) Why i said marriage is the beginning of a new journey ?
2) Why people get married?
3) Its good or bad for us.
Starting from the 1st.…………………
शादी –
एक बंधन ,एक रिश्ता ,एक वादा ,एक विश्वास ,
दो जिस्मो का, दो मनो का सदा सदा के लिय एक हो जाने का अंदाज;
एक अजनबी के हाथो में अपने जीवन की डोर देने का रिवाज,
एक दूसरे के प्रति समर्पण का वो भाव, खुशियां बिखेरने की वो जज्बात .
इन तमाम चीजों के मेल से बनता है घर-संसार जिसकी शादी से होती है शुरुआत…
इस शुरुआत के साथ शुरू होती है एक सफर . इस सफर की यादें कडवी होगी या मीठी निर्भर करता है राही के ऊपर. राह कैसी भी हो अगर हमराही सच्चा हो और अच्छा हो तो सफर सुहाना हो जाता है.
हम भारत देश में रहते है जन्हा अधिकांशतः शादी के बाद लड़किया अपने पति के घर आ जाती है. एक ऐसी जगह जंहा उसके लिये हर चीज, हर व्यक्ति नये होते है.
जंहा आँखों में सपने होते है ,वही अपनों से बिछुड़ने का गम भी होता है .माँ -बाप ,दोस्त,भाई सबको छोड़ के वो अपने पति के बग़िया को महकाने ससुराल की समा में प्रवेश करती है. वो अनजान होती है हर रिश्तो से . दिल में सिर्फ एक ही अरमान लेकर आती है की मै जंहा जा रही हू वंहा प्यार , मोहब्बत की बारिश करू. उसे नही पता होता की कौन अच्छा है और कौन बुरा.वो तो एक कोरे कागज की तरह होती है. जो कल किसी की बेटी थी, आज किसी की बीबी है,किसी की बहु है और किसी की भाभी है.
फिर क्यों कोई पत्नी अच्छी और कोई बुरी हो जाती है.क्यों कोई बहु अच्छी और बुरी हो जाती है.
ये हमारा नजरिया है बल्कि वास्तविकता इससे बिल्कुल परे है. एक कोरे कागज पे कुछ गलत लिखा है तो इसका जिम्मेदार वो कोरा कागज कैसे हुआ ? कोरे कागज कभी अच्छे या बुरे नहीं होते , वो तो बस कोरे कागज होते है. वो हम है जो इसमे अच्छाई या बुराई का रंग चढाते है. कोरे कागज से यंहा तात्पर्य रिश्तो से है , चाहे वो कोई भी रिश्ता हो वो कोरे कागज की तरह ही होते है. परन्तु यंहा हम सिर्फ शादी के रिश्तो की बात कर रहे है.
रिश्ता एक बीज की तरह होता है.जिस तरह बीज को पहले बोना होता है,फ़िर सीचना पड़ता है फिर प्रतीक्षा करना होता है तब कंही जाकर हमे फल की प्राप्ति होती है, ठीक उसी तरह हमे रिश्तो को मजबूती प्रदान करने के लिय प्यार और विश्वास रूपी बीज को बोना पड़ता है, उसे निरंतर स्नेह और दुलाड़ से सीचना पड़ता है.परिणामस्वरूप जो फल की प्राप्ति होती है वो ” अटूट बंधन” कहलाती है. जिसमे हमे सिर्फ अच्छाई ही नज़र आती है.
रिश्तो में जब अच्छाई नजर आने लगे तो सफर सुहाना हो जाता है और यादें भी सुहानी होती है. इस तरह एक सफर जो शादी से शुरु होती है वो मीठी यादोँ का गुलदस्ता बन जाता है , जो हर दम्पतियो के जीवन को अपनी महक से महका जाती है.
SO begin this journey with positive thoughts. Good Luck.
***