काफी दिनों के बाद मै अपने गावं जा रहा था. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से संध्या पांच बजकर तीस मिनट (5.30pm) पे मेरी ट्रेन थी.मेरा गावं ,मेरे पिता का जन्म स्थल ,मेरा पैतृक निवास “समस्तीपुर बिहार” .गावं जाने की खुशी मुझे रोमांचित कर रही थी. हो भी क्यों ना बचपन की यादें , दादा जी का आम का बगीचा , दादी की हाथो का खाना , खेत-खलियान सब कुछ मुझे अपने पास बुला रहा था.यही सब सोचते सोचते कब मैं नई दिल्ली स्टेशन आ गया पता ही नहीं चला.
मैं काफी समय बाद ट्रेन में सफर कर रहा था. मै पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाला था.एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाने जा रहा था. मेरी टिकट स्लीपर कोच(sleeper coach) में थी, तत्काल (current) में agent द्वारा ticket book कराने की वजह से मुझे confirm ticket मिला था.
अभी मैं station पंहुचा ही था की platform पे खड़ी भीड़ देख मेरे होश ठिकाने लग गए.जिधर देखो उधर सिर्फ आदमी ही आदमी,मानो railway station पे नहीं कुंभ के मेले में आ गए हो.
भारतीय रेल के बारे में सुना था की time से चलना उनकी आदत नहीं होती.आज देख भी लिया ….” यात्रीगण कृप्या ध्यान ! गाड़ी संख्या 0102 (काल्पनिक संख्या) जो जयपुर से चलकर नई दिल्ली,कानपूर , हाजीपुर, मुज्ज़फरपुर ,समस्तीपुर होते हुए बरौनी तक जाएगी, गाड़ी अपने निर्धारित समय से दो घंटे देरी से चल रही है , गाड़ी 19 बजकर तीस मिनट ( 7.30pm) पे plateform संख्या 16 पे आएगी.यात्रियो को हुई असुविधा के लिय हमे खेद हैं.” धन्यवाद !
अब भईया दो घंटे भीड़ में खड़ा रहना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था. यही सोचते हुए मैं इधर उधर देखने लगा ,तभी अचानक मेरी नजर platform पे खड़ी एक टोली पे(कुछ लोगो के समूह) पड़ीं.उनको देख कर लगा जैसे वो घर shift करने जा रहे हो.बड़ी सी पेटी , बक्सा, बाल्टी(buket), music system ,दो-चार बोड़ी (bag) शायद कपड़े और बर्तन के और भी ना जाने कितने सामान ऐसे थे जो कहीं भी आसानी से और शायद एक ही मूल्य पे उपलब्ध हो.
मुझे पहली बार लगा क्यों लोग बिहारियों को देख कर एक पल में जान जाते है की ये बिहारी हैं, क्या सच में मेरा बिहार इतना दयनीय हैं !!
जब मुझ से नहीं रहा गया तो मैंने उनमें से एक से पूछा , “ भईया आपलोग इतना सामान लेकर क्यों जा रहे हो ?
उसने कहा “क्या करे साहब फसल का समय हो गया हैं ,खेती –बारी भी तो देखनी हैं ,अभी खेती का सीजन (season) है इसलिए हमलोग जा रहे हैं ,और यंहा कोई परमानेंट (permanent) ठिकाना तो है नहीं की सबकुछ छोड़ के जाए .”
उसने जिस दर्द से अपनी बात कही उसे सुन मेरी आँखों में पानी आ गया.वो बिहार से था .बिहार वही राज्य है जो देश को सबसे ज्यादा I.I.T engineer ,I .A.S OFFICER हर साल देता है , ये वही राज्य है जिसने देश को पहला राष्ट्रपति दिया ,ये महान सम्राट अशोक की जन्म भूमि है. और न जाने कितने ऐसे विभूति है जिनका उलेख करू तो शायद शब्द कम पड़ जाए.
हर राज्य की तरक्की में बिहारियों का योगदान हैं .
रिक्शा चलाता कौन ?? बिहारी
ऑटो चलाता कौन ?? बिहारी
इमारतो के निर्माण में मजदुर कौन ?? बिहारी
छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम करता कौन ?? बिहारी
जब बिहारियों में इतनी काबिलियत हैं तो फिर बिहार में ही बेरोजगारी क्यों हैं ?जब बिहारी देश के हर कोने में जा कर काम कर सकता है तो फिर अपने घर में वो कोना क्यों नही है जंहा वो काम कर सके रोजगार पा सके.
आए दिन ताने ,अपमान और तिरस्कार झेलना उनकी किस्मत का हिस्सा बनता जा रहा है और उनकी जख्मो पे मलहम की जगह नमक छिडकने का काम कोई और नही उनके द्वारा चुना उनका अपना प्रतिनिधि ही करता है.
अभी चुनाव का माहौल हैं जिसे देखो बिहारी होने का , उनका हितेषी होने का दावा करता है. चुनाव (ELECTION) खत्म हितेषी गायब, वादे खत्म.
मेरा उन नेताओ से अनुरोध है जो हमारी भावनाओं से खेलते है,जिनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर हम उन्हे अपना उतराधिकारी बना लेते है और अपने आप को ठगा महसूस करते है. हम एक बार फिर आप को VOTE देने को तैयार बैठे है .हम इस बार आपको VOTE सिर्फ “विकास” (DEVLOPMENT) के नाम पर देंगे, बेरोजगारी(UNEMPLOYMENT) दूर करने के नाम पर देंगे. कृपया हमे अपने घर में रोजगार दे , हम बाहर नहीं जाना चाहते ,हमे धर्म जाती –वाद में ना बांधे.
आशा करता हु अबकी बार एक “बदला हुआ बिहार”..
बिहार विकास (DEVLOPMENT OF BIHAR) का सपना होगा पूर्ण ,रोजगार की तलाश में नही जाना होगा घर से दूर…..
” हमे नही लड़ाओ जाती के नाम पे,
ना फसाओ झूठे वादों के जाल में
बहुत दयनीय हालात है, हर कोई बदहाल है.
विकास लाओ, बहार लाओ
बिहार की नई पहचान लाओ…..”
धन्यवाद !
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विशाल