तुझे प्यार करते हैं इतना सनम ! (I love you: True lovers love without bothering about life, society or anything. They do not even afraid of death in love. But not every love story has happy ending.)

Hindi Love Short Story – तुझे प्यार करते हैं इतना सनम
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न तीर न तुक्का ,कर दिया हक्का – बक्का ! तुम्हें कहाँ – कहाँ से अजीबोगरीब खबर मिलती रहती है ?
कौन सी खबर ?
यही कि मैं तुमको लेकर नौ दो ग्यारह होनेवाला हूँ – वो भी सात समुन्दर पार .
मैं क्यों भागूं आप के साथ, मुझे कुत्ता काटा है क्या ?
जब यहीं सब कुछ है तो भागने की क्या आवश्कता ?
एक दिन मैंने ढाका रेडिओ स्टेसन लगा दिया . फुर्सत के क्षण थे. बंगला में बड़ा अच्छा गाना आ रहा था . मैंने वोलुम थोडा तेज कर दिया . बंगला गाना का हेड लाईन था.
जरा गा कर सुनाओ , हम भी तो सुने .
‘आमि सात समुन्दोर पार होए तोमार काछे एसेछि , यदि तुमी आमाय भालो बासो ना , आमि तोमाके भालो बेसेछि .’
अर्थात मैं सात समुद्र पार करके तुम्हारे पास आयी हूँ , यदि तुम मुझे प्यार नहीं करते हो तो मैं तुम्हें प्यार करती हूँ.
क्या खूब ! तुम कहाँ कहाँ से ई सब चुन के रखती हो ?
उस दिन तुम और दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही …
बैठक खाने में बेंच पर कुछ बच्चे – बच्चियां बैठकर गप्पें हांक रहे थे. मैं तुम्हें न पाकर बारामदे में कुर्सी खींचकर बैठ गया . मेरी आहट का भी तुझे भान होता रहता है. तुम कहाँ से टपक पडी थी और कुर्सी खींचकर गंभीर मुद्रा बनाकर , नजरों में नजरें डालकर , बिलकुल सामने बैठ गयी थी. तुम्हारी श्वासों का एहसास मुझे हो रहा था . इस मादक मूड में मैंने तुम्हें कभी पहले नहीं देखा .
मैं अपने को सम्हाल नहीं सका . पूछ बैठा , ‘ आज यह बिजली कहाँ गिरेगी ?
आप पर गिरेगी , और कहाँ ? तपाक से जवाब दे मारा था .
ताड़ की तरह लम्बी हो गयी हो, लाज – लिहाज है तुझे ?
देखेंगे लोग तो क्या कहेंगें ?
कहने दीजिये . लोंगों का काम है कहना . हम एलानिया कह सकते हैं कि हम आप को प्यार करते हैं , करते हैं , करते हैं ….. !
पागल हो गयी हो क्या ? आज तुझे क्या हो गया है ? मैंने समझाने के ख्याल से तुम्हारा हाथ जोर से पकड़ लिया था .
तुमने मेरे हाथों को झटकारते हुए टूट पडी थी मुझ पर एक सैनिक की तरह . अन्दाजें बयाँ की थी, ‘ सच्चे प्यार करनेवाले दुनिया की बातों की परवाह नहीं करते . लैला – मजनू , हीर – राँझा , शीरी – फरहांद और रोमिओ – जूलियट की कहानियां – क्या आपने नहीं पढी है ? उन्होंने जो जिंदिगी के आख़री वक़्त साथ निभाने की कसमें खायीं , उसे आख़री दम तक निभाए कि नहीं ?
निभाए |
तब, मैं भी आखरी वक़्त तक निभाने का वचन देती हूँ . समझे . क्या समझे ?
सच्चे प्यार करनेवालों से मौत भी खौफ खाती है . उसने बोला ही नहीं अपितु एक हल्की सी चपत भी लगा दी मेरे गाल पर ( यह सब हकीक़त में मुझे करनी चाहिए , लेकिन मेरा रोल वही करती है अक्सरां )
तुझे मैंने हमेशा पीछे हटने की सलाह दी , लेकिन परिणाम उल्टा ही निकला , तुम आगे बढ़ती चली गयी . अब क्या होगा , मुझे सर्वदा भय लगता है.
मैंने तुझे सावधान कर दिया था कि वो नहीं होता जो तुम सोचती हो. मरकर हम अमर हो जायेंगे , लेकिक हमें मिलेगा क्या ? क्या इस विषय पर तुमने कभी सोचा है ? उत्तेजना और आवेश में लिया गया निर्णय सार्थक नहीं होता . जिंदिगी की हकीकत को समझने की कोशिश करो. कभी – कभी तो मुझे तुम पर हंसी आती है , जब तुम बोलती हो कि यदि आपको हम नहीं पाएंगे तो जहर खा लेंगे , फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेंगे …
मैं तो कहूँगा तुम मूर्ख हो , डरपोक हो . जीवन जब तुम दे नहीं सकती तो क्या इसे लेने का अधिकार है तुझे ? दिलपर हाथ रखकर सच – सच बोलो मुझे .
तुम गुम – सुम – सी हो गयी थी इस बात को सुनकर . तुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं जिंदिगी की सच्चाई को उधेड़ कर रख दूंगा तुम्हारे समक्ष . मैंने देखा तुम्हारा मूड ऑफ़ हो चूका था. मैं जाने को ज्योंहि खड़ा हुआ , तुम मुझसे लिपट गयी और सुबक – सुबक कर रोने लगी . जब मैंने आंसुओं को टपकते देखा तो मैं सहन नहीं कर सका . मुझे विवश होकर कहना पड़ा, ‘ अब भी बस करो . क्या चाहती हो कि जिन आंसुओं को मैंने कैद करके अंतर में रखा है , वे बाहर निकल कर हमारा उपहास उड़ायें ?
मैं इंसान ही तो हूँ , कभी – कभी बहक जाती हूँ .
आप जैसा मैं तो नहीं हो सकती . आप तो ‘ पुष्पानी म्रिदुलानी , बज्रानी कठोरादपि अर्थात पुष्प सा कोमल हैं तो बज्र सा कठोर भी हैं .
मैं क्षण भर भी अब रुकना उचित नहीं समझा . तेज क़दमों से चल दिया . मन नहीं माना . पीछे मुड़कर देखा वह अभी भी वहीं मूर्तिवत खड़ी थी . मैं इतना मजबूर था कि इस अवस्था में मैं उसकी कुछ भी मदद नहीं कर सकता था .
लेखक : दुर्गा प्रसाद |
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