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Aashita

Published by payalguptaa in category Hindi | Hindi Story | Love and Romance with tag divorce | Love | marriage | money

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Hindi Family Story – Aashita
Photo credit: earl53 from morguefile.com

मैं ऑफिस कैंटीन में बैठ कर लंच खा रहा था की तभी मेरे वकील दोस्त का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आया। मेरे फ़ोन उठाते ही सौरभ (मेरा वकील दोस्त ) बोला की ,” आशिता (मेरी पत्नी) ने तलाक के कागज़ात पर दस्तख्त कर दिए हैं और सबसे बड़ी बात यह है की उसे तुमसे कुछ नहीं चाहिए। पर यार एक बात सच सच बता की क्या तू सच में उससे तलाक चाहता है? मेरा मतलब है की कितनी प्यारी और भोली लड़की है वो।उसको तलाक का सही मतलब भी मैंने ही बताया।अभी थोड़े दिन पहले उसने अपना भाई भी खो दिया है और अब तो उसके परिवार में कोई नहीं बचा है।उसकी जो हालत है अभी वो थोड़ी चिंताजनक है।तू ही उसकी आखिरी उम्मीद है पर अब तू भी उससे अलग हो रहा है।उसे सच में अभी तेरे प्यार और सपोर्ट की ज़रूरत है।”

मैंने कहा ,”मुझे भी हमदर्दी है उससे और इसलिए मैं हर महीने उसको कुछ खर्चा देने को तैयार था पर अगर उसको कुछ नहीं चाहिए तो मैं ज़बरदस्ती तो नहीं दे सकता।पर एक सच यह भी है वो मेरी ज़िन्दगी में कहीं भी फिट नहीं होती है इसलिए मैं उससे तलाक ले रहा हूँ।उसकी दुनिया ब्रूनो (उसका पालतू कुत्ता) और पम्पकिन (उसका सॉफ्ट टॉय ) तक ही सीमित है।ऐसी लड़की बीवी होने के सब फ़र्ज़ नहीं निभा सकती।मैं तो इससे शादी ही करना नहीं चाहता था लेकिन बुआ जी की ज़िद के आगे किसकी चली है।”

उधर से सौरभ थोड़ी सी उदासीन आवाज़ में बोला ,”पता नहीं अमन मैंने आज तक बहुत सारे तलाक के केस हैंडल किये हैं लेकिन तेरा तलाक कराते हुए मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लग रहा है।मैं तो कहूँगा की तू एक बार फिर सोच ले।चल अब मैं रखता हूँ।”

मैंने अपना खाना खत्म किया और वापिस अपने केबिन में जाकर काम में खोने की कोशिश की।पर दिल और दिमाग बार बार सौरभ की कही गई बातों में ही उलझे हुए थे।आशिता को तलाक देकर मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा हूँ?दिल कहता की उस अकेली जान को सहारे और प्यार की ज़रूरत है तो दिमाग कहता की यह शादी तो ज़बरदस्ती का सौदा थी मेरे लिए।एक २२ साल की लड़की जो ठीक से अपनी कोई भी बात कह नहीं पाती है और सारा दिन खिलोनों से खेलती है वो भला मेरी बीवी कैसे हो सकती है। वो मेरा क्या साथ निभाएगी ? उसकी इसी हालत की वजह से ही तो आज तक मैंने अपनी कंपनी में अपनी शादी के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगने दी।

मैं इसी कश्मकश में उलझा हुआ था की तभी ऑफिस बॉय ने मेरे केबिन के दरवाज़े पर दस्तक दी।बोला की मेहता सर आपको अपने रूम में बुला रहे हैं।बॉस के अचानक बुलावे से मैं थोड़ा सा घबरा गया।खैर सब ख्यालों को एकतरफ कर मैं उनके रूम की तरफ बढा।मैंने दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक दी ही थी की वे बोले,”अन्दर आ जाओ अमन।”

मैं अन्दर घुसा तो उन्होंने मुझे बैठने के लिए बोला।मेरे बैठते ही वे बोले ,”बधाई हो! अगले साल जनवरी में हमारी कंपनी से जो टीम इटली जाने वाली है उसके लिए तुम्हारा नाम भी फाइनल कर दिया गया है। आज ही तुम्हे इस पर ईमेल कन्फर्मेशन भी मिल जाएगा।कंपनी की मैनेजमेंट तुम्हारी मेहनत और तुम्हारे पास्ट रिजल्ट्स से बहुत खुश है।खुद श्रीनिवासन जी (कंपनी के चेयरमैन) ने तुम्हारा नाम इस टीम में शामिल होने के लिए दिया है।”

मेरी ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहा।मन किया की उठ कर नाचूँ। खुद को काबू में रखते हुए मैंने कहा,”थैंक्यू वैरी मच सर!” और पाँच-दस मिनट की बातचीत के बाद मैं उनके रूम से बाहर आ गया।

उनके रूम से बाहर आते ही मुझे मेरे तलाक के केस की याद आयी। जनवरी आने में अभी सात महीने बाकी है।शाम को ही सौरभ को फ़ोन करके कह दूँगा की वो जल्दी से यह सब क़ानूनी काम निपटा दे ताकि मैं शांति से इटली जा सकूँ।

(यूँ तो मैं भी अपने माता-पिता को बहुत पहले खो चुका था (और रिश्तेदारों के नाम पर सिर्फ एक बुआ जी ही थी जिन्हें मेरी चिंता लगी रहती थी।) पर फिर भी मैं आशिता की तकलीफ को नज़रंदाज़ कर उसके दुखों से कन्नी काटना चाहता था। मैं यह भी अच्छी तरह समझता था की तलाक के बाद वो बिलकुल अकेली हो जाएगी लेकिन फिर भी मैं तो खुद को यह समझा चुका था की वो मेरे लायक नहीं है।)

रात को मैंने सौरभ को फ़ोन करके अपने इटली जाने के बारे में अवगत कराया।वो फिर बोला,”यार एक बार फिर सोच ले।आशिता बिलकुल अकेली हो जाएगी।उसे तेरा रूपया – पैसा कुछ नहीं चाहिए।पर तेरे प्यार की उसको सख्त ज़रूरत है।”

मैंने कहा की,”यार तू कुछ ज्यादा ही भावुक हो रहा है।मुझे पता है की वो अपना ध्यान खुद रख सकती है। तू बस जल्दी से मेरा यह केस निपटवा दे।मैं तुझसे परसों आकर मिलता हूँ तेरे ऑफिस में।बाकी की बातें तब करेंगे।”

मैंने उससे कह तो दिया की आशिता अपना ध्यान खुद रख सकती है लेकिन सच्चाई कुछ और थी और इससे कहीं ज्यादा गहरी थी।सच यह था की आशिता जैसे लोग पागल तो नहीं होते लेकिन इनकी ज़िन्दगी वक़्त के कुछ पन्नों में कहीं अटक कर रह जाती है।ऐसे लोगों को भौतिक सुखों की कोई लालसा नहीं होती।इन्हें कुछ चाहिए होता है तो वो है प्यार और अपनापन।लेकिन मैंने जब तक इस सच को स्वीकारा तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

खैर वक़्त बीतता गया।इस बीच में सौरभ ने और आशिता के वकील ने सब क़ानूनी कार्यवाही निपटा दी। इटली जाने से ठीक बीस दिन पहले मैं और आशिता क़ानूनी रूप से अलग हो गए थे।तलाक के कागज़ात कोर्ट में फाइल होने से लेकर आखरी सुनवाई तक मैंने एकबार भी उसकी कोई खबर नहीं ली।बस जिस दिन कोर्ट की तारीख होती उसी दिन वो मुझे दिखती।गुमसुम चुपचाप सी वो मुझे देखती रहती पर मैं उसको इग्नोर करता रहता की कहीं मेरे दिमाग पर मेरा दिल हावी ना हो जाए।

यह सब काम निपटने के बाद मैं ख़ुशी ख़ुशी इटली के लिए निकल गया।नई जगह और नए लोगों के बीच में खुद को पाकर मैं अपनी किस्मत पर बहुत फक्र महसूस कर रहा था।कब से कोशिश में लगा था की कंपनी मुझे भी किसी इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए विदेश भेजे और आखिकार मेरी कोशिश कामयाब हो ही गई।

जिस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए मुझे इटली भेजा गया था उसको मुझे सात महीनों के अन्दर अन्दर खत्म करके वापिस अपने देश लौटना था।काम के साथ साथ इटली भ्रमण भी चालू रहा।नए दोस्त बने और एक नई दुनिया का मैं हिस्सा बन रहा था।पर सब कुछ मेरे मुताबिक़ होते हुए भी आशिता का ख्याल भी गाहे-बगाहे मुझे आ ही जाता था।एक बार सोचा की उसको फ़ोन करके उसकी खोज-खबर ले लूँ पर फिर अगले ही पल लगा की ठीक ही होगी वो।मुझे उसकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।अब वो मेरी पत्नी थोड़े ना है! वक़्त उसको उसके अकेलेपन से झूझना सिखा देगा।लेकिन मुझे कहाँ पता था की मेरी यह ग़लतफ़हमी मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती साबित होगी।

अपने प्रोजेक्ट को टाइम पर ख़त्म करके और सबकी वाह-वाही बटोरकर मैं इंडिया लौट आया।मेरे बॉस और कंपनी की बाकि मैनेजमेंट इटली में दी गयी मेरी पर्फोर्मांस से बहुत खुश थे और इसलिए वापिस आते ही मुझे प्रमोशन और सैलरी इन्क्रीमेंट भी दे दिया गया।यह सब पाकर मैं खुश तो बहुत हुआ लेकिन पता नहीं क्यूँ आज पहली बार ऐसा लगा की मेरा कोई अपना नहीं है मेरे पास जिसके साथ मैं अपनी इन खुशियों को बाट सकूँ। और एक बार फिर आशिता का ख्याल मेरे दिल में आया।मैंने सोचा की प्रमोशन की ख़ुशी बाँटने के बहाने से आज मैं उसको मिल लेता हूँ।कुछ और नहीं तो यह ही देख लूँगा की वो किस हालत में है।पहली बार अपने दिमाग को दरकिनार कर मैंने उसके लिए कुछ चॉकलेट्स खरीदीं और उसके घर की और चल दिया।

लेकिन मुझे नहीं पता था की मेरी ख़ुशी जल्द ही काफूर होने वाली है और वक़्त जुदाई का ज़बरदस्त तमाचा मेरे मुँह पर जड़ने वाला है।

मैं उसके घर पहुँचा तो देखा की मेन गेट पर ताला लगा हुआ है।रात के आठ बज रहे थे।इस वक़्त कहाँ गयी होगी वो ? क्यूँकी बेशक शादी के बाद मैं और वो सिर्फ दो महीने ही साथ रहे थे लेकिन उसकी शाम को ६ बजे के बाद घर से बाहर न निकलने वाली आदत से मैं वाकिफ था।पता नहीं क्या सोचकर मैं उसके पड़ोसी के घर चला गया।घंटी बजायी तो एक अधेड़ उम्र की महिला बाहर निकलकर आयी।बोली,”जी कहिए! किससे मिलना है?”मैंने कहा की,”यह पड़ोस वाले घर में आशिता ग्रोवर रहती हैं।अभी घर पर नहीं है।क्या आप बता सकती हैं की वो कहाँ गयी है या फिर कब तक आएगी?”

उस महिला ने अजीब हैरानी भरी नज़रों से मुझे देखा और बोली की ,”आप कौन हो जो उस बदनसीब के बारे में पूछ रहे हो?” मैंने खुद को उसका एक्स-हस्बैंड ना बताते हुए खुद को उसका दोस्त बताया और कहा की मैं अभी कुछ ही दिन पहले इटली से लौटा हूँ। वो महिला थोड़ा सा उदास होते हुए बोली,”बेटा ! तुम थोड़ा पहले मिलने आ जाते उससे तो अच्छा होता।तुम्हे उसके भाई की असमय मौत और तलाक के बारे में कुछ पता है या नहीं ? उसका यह घर पिछले तीन महीनों से बंद पड़ा है।वो कब गयी कहाँ गयी किसी को कुछ पता नहीं है और ना ही किसी ने उसको जाते हुए देखा।जिंदा है या नहीं यह भी पता नहीं।और फिर उस पगली की खोज-खबर लेने वाला है ही कौन। तुम ने आने में बहुत देर कर दी।”

यह सब सुनकर जैसे मेरा दिल तार तार हो गया।और कुछ कहे या सुने बिना मैं वहाँ से लौट गया।पहली बार मेरा दिमाग सुन्न हो गया था और दिल रो रहा था।आँखों से लगातार आँसूं बहे जा रहे थे।कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ। आज मुझे खुद से नफरत हो रही थी।मैंने उसको सिर्फ इसलिए छोड़ दिया था क्यूँकी उसको ब्रूनो और पम्पकिन से बहुत प्यार था।लेकिन मैंने भी तो पति होने का कोई फ़र्ज़ नहीं निभाया था।अगर मैंने उसको समझा होता और प्यार से उसकी तरफ अपना हाथ बढाया होता तो वो मेरी दुनिया और ज़िन्दगी का हिस्सा होती और नौबत यहाँ तक नहीं पहुँचती। पर यह तो सिर्फ एक वज्रपात था।अभी और बहुत कुछ बाकी था जानने के लिए।

अगले दिन भारी मन से मैं ऑफिस पहुँचा। प्रमोशन और इन्क्रीमेंट की ख़ुशी बिलकुल बेमानी लग रही थी।बेमन से खुद को फाइलों में झोंकने की कोशिश कर रहा था।लंच टाइम हुआ तो एक सहकर्मी के बहुत कहने पर मैं उसके साथ नीचे आ गया।हम दोनों ऑफिस की बिल्डिंग के आस पास का चक्कर लगा ही रहे थे की तभी वो बोला,”अमन ! तुझे एक बड़ी इंटरेस्टिंग बात बतानी है।जब तू यहाँ नहीं था ना तब पता है एक लड़की अपने पालतू कुत्ते और सॉफ्ट टॉय के साथ रोज़ शाम को यहाँ आती थी।पता नहीं क्यूँ आती थी और किसके लिए आती थी।पर बिल्डिंग से बाहर जाने वाली सब गाड़ियों को बड़े ध्यान से देखती थी।एक दिन मैंने उससे पूछा भी अगर वो यहाँ किसी को मिलने आती है तो मुझे बताए मैं उसकी मदद कर दूँगा पर वो कुछ नहीं बोली।” यह सब सुनते ही मैं समझ गया की वो लड़की और कोई नहीं आशिता ही है।मैंने बड़ी ही बेसब्री से उससे पूछा की ,”क्या वो कल भी आयी थी?” तो वो बोला की पिछले तीन या चार महीनों से उसे दोबारा किसी नहीं देखा।

मुझे समझने में देर नहीं लगी की यह सब मेरे इटली जाने के बाद हुआ है।मैं वहां सात महीने तक था और इधर वो मुझे ढूंढते हुए तकरीबन तीन-चार महीनों तक यहाँ आती रही।क्यूँकी पिछले तीन महीनों से उसका कुछ पता नहीं है।मैं बिजली की गति से ऑफिस की और वापस दौड़ा।मेरा सहकर्मी मुझे आवाज़ लगाता रहा पर उस वक़्त मुझे तो बस आशिता की चिंता सता रही थी।

अपने रूम में पहुँचते ही मैंने एक लम्बी छुट्टी के लिए एप्लीकेशन लिखी।और साथ ही मैंने सौरभ को भी इस उम्मीद में फ़ोन लगाया की शायद उसको कुछ पता हो।उसने जब मुझसे मेरी इस चिंता का कारण पूछा तो मैंने उसको सब बता दिया।वो बोला ,”अमन तुझे कितना कहा था मैंने की एक बार सोच ले।आशिता को तेरी ज़रूरत है।अब देख क्या हो गया! अपने अकेलेपन से वो लड़ नहीं पाई होगी और अब ना जाने वो कहाँ चली गयी है और पता नहीं किस हाल में है। पर तू फिक्र मत कर मैं उसको ढूँढने में तेरी पूरी मदद करूँगा। तू शाम को मिल मुझे।”

सौरभ से बात करने के बाद मैं मेहता सर के पास अपनी लीव एप्लीकेशन लेकर गया।एप्लीकेशन देखकर वो हैरान हो गए और बोले,”अमन ! यू जस्ट गोट प्रमोटेड।और आज यह लीव एप्लीकेशन और वो भी इतनी लम्बी लीव। सब ठीक तो है?” मैंने उनसे कहा ,”सर ! मेरी बीवी पिछले तीन महीनों से लापता है। मुझे उसको ढूँढना है।”यह सुनकर तो वे और ज्यादा हैरान हो गए और बोले ,”बीवी? तुम्हारी शादी कब हुई ? बट फिर भी इतनी लम्बी लीव की परमिशन तो मैं तुम्हे नहीं दे सकता।काम कौन संभालेगा यहाँ?” मैंने वक़्त बर्बाद किए बिना कहा की ,”सर ! तो आप समझ लें की यह मेरा इस्तीफ़ा है।फिलहाल मेरी बीवी का पता लगाना मेरे लिए बहुत ज़रूरी है।”इतना कहकर मैं बाहर आ गया और अपने रूम से अपना ज़रूरी सामान उठाकर ऑफिस से निकल गया।

घर पहुँचते ही शादी की एल्बम से आशिता की फोटो निकाली और सौरभ को फ़ोन करके आशिता के घर के पास वाले पुलिस स्टेशन पहुँचने को कहा।वहाँ पहुँचने के बाद हम दोनों ने उसके लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई।और उसकी फोटो भी दे दी।थाने का स्टेशन हाउस ऑफिसर सौरभ को जानता था सो उसने हमें आश्वासन दिया की इस केस को वो अपनी निजी तवज्जो देगा।

हम दोनों वहाँ से वापिस अपने अपने घर के लिए निकल गए। रास्ते में सौरभ ने मुझे हिम्मत दी की मैं कोई भी बुरे ख्याल अपने मन में ना आने दूँ।आशिता जल्द ही मिल जाएगी।उसने उम्मीद जताई की वो जहाँ भी होगी ठीक होगी।

अगले दिन मैं वापिस आशिता के घर गया।उसके पड़ोसियों से कुछ जगहों के बारे में पता चला जहाँ वो अक्सर जाया करती थी । और सबने एक बात ज़रूर बोली की भाई की मौत और फिर तलाक ने उसको अन्दर तक तोड़ कर रख दिया था।पहले तो वो फिर भी कुछ कुछ बात कर लेती थी लेकिन इतना सब एक साथ होने के बाद उसने चुप्पी साध ली थी।इतना सब सुनने के बाद तो मेरी बिलकुल हिम्मत नहीं हुई की मैं इन सब को बताऊँ की मैं ही उसका वो निर्दयी और निर्मोही पति हूँ जिसने उन मुश्किल हालातों में उसका साथ देने की जगह उसको उसकी तकलीफों के साथ अकेला छोड़ दिया।

आज एक बार फिर मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था और नफरत हो रही थी।अपने आदमी होने पर शर्म आ रही थी। कैसा पत्थर दिल इंसान हूँ मैं?इंसानियत को शर्मसार कर दिया मैंने। और इस सब के बीच में बार बार उसका मासूम चेहरा मेरी आँखों के सामने घूम जाता।

अगले कुछ दिनों में मैं उन सब जगहों पर गया जिनके बारे में उसके पड़ोसियों से पता चला था।सब जगह उसकी फोटो दिखाई पर जो लोग उसे पहचानते थे वो सब यही बोले की पिछले कुछ महीनों से उन्होंने आशिता को नहीं देखा है। मैं निराश हो गया पर फिर सोचा की पुलिस तो पता लगा ही लेगी इसलिए हर दो दिन में पुलिस स्टेशन जाकर पता करता पर वे लोग भी अभी तक कुछ पता नहीं लगा पाए थे। समय बीतता रहा। मैं,सौरभ और पुलिस तीनों ही उसका पता लगाने में नाकामयाब रहे।

आज आशिता को लापता हुए एक साल हो चला है।पुलिस ने अपनी खोजबीन बंद करके केस क्लोज कर दिया है।पर सौरभ ने मेरा साथ नहीं छोड़ा है।मैं और वो आज भी उसको ढूँढ रहे हैं।मुझसे से ज्यादा सौरभ को उम्मीद है की आशिता हमें मिल जाएगी। यही वजह है की मेरी हिम्मत आज तक बंधी हुई है।

मैंने उसको अकेला छोड़कर जो पाप किया उसकी सज़ा मैं भुगत रहा हूँ लेकिन ऊपर वाले अगर तू वाकई में लोगों की फ़रियाद सुनता है तो बस तुझसे इतना ही कहना चाहता हूँ की मेरे कर्मों की सज़ा उसको मत देना और वो जहाँ भी है उसको सही सलामत रखना।और हो सके तो मेरा यह सन्देश उस तक पहुँचा दे उसके इस नादान और पत्थर-दिल पति को उसकी ज़रूरत है।और मैं जल्द दी उसको ढूँढ कर हमारे घर वापिस ले जाऊँगा।

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