• Home
  • About Us
  • Contact Us
  • FAQ
  • Testimonials

Your Story Club

Read, Write & Publish Short Stories

  • Read All
  • Editor’s Choice
  • Story Archive
  • Discussion
You are here: Home / Hindi / Naa Sataa Ye Tan , Naa Ye Man

Naa Sataa Ye Tan , Naa Ye Man

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag eyes | heart | Love

love-hindi-poem-eyes-girl

Hindi Love Poem – Naa Sataa Ye Tan, Naa Ye Man
Photo credit: taliesin from morguefile.com

ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ,
ना बढ़ा ये भूख , ना ये अगन …… अपनी मदमस्त जवानी से ।

बहुत रोकूँ मैं खुद को …… तेरे सामने मदहोशी से ,
तू छीन ना ले मेरी तपन ……… कहीं मेरी बेहोशी से ,
करूँ मैं लाख जतन ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

तेरी मीठी सी चंचल बातें …… मेरा दिल चुरा ले गईं ,
तेरी तीखी सी शोख आवाज़ें ……… बेहयाई का पर्दा उड़ा ले गईं ,
ढकूँ मैं अपना बदन ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

मैंने कब कहा बता …… कि उघाड़ दे तू अपने जिस्म का पर्दा ,
मैंने कब कहा बता …… कि सँवार दे मेरी जवानी का जलवा ,
भागूँ मैं तुझसे डर के सनम ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

जवाँ दिलों का अक्सर कोई …… ठौर-ठिकाना नहीं होता ,
ये दिल कब मचल जाए …… किसी को पता नहीं होता ,
फिसल ना जाऊँ मैं तेरे संग , ये सोच कर ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

एक आग सी लगती है …… जब तू सामने आता ,
एक प्यास सी लगती है …… जब तू आकर के मदमाता ,
तब मैं भूल जाती सब भरम , फिर भी ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

दिल दिमाग पर , तब और भी …… हाफी सा होता जाता ,
जब तू हौले-हौले से , अपनी बातों से …… मेरे सुर में सुर मिलाता ,
तब चूम अपने तन को , मैं ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

बहुत तकलीफ होती है …… खुद को रोक कर , बंध जाने में ,
तब नई एक सीख मिलती है …… खुद को खुद ही आज़माने से ,
बहते हैं तब ये नयन , जब मैं ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

कितना खूबसूरत होगा वो नज़ारा …… जब हम दोनों का मिलन होगा ?
कितना खूबसूरत होगा वो किनारा …… जहाँ तेरा-मेरा एक नगर होगा ,
ये सोच कर मैं हट जाती हूँ , और ……… काबू करूँ अपनी मदमस्त जवानी को ,
ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ।

ना सता ये तन , ना ये मन ……. अपनी मदमस्त जवानी से ,
ना बढ़ा ये भूख , ना ये अगन …… अपनी मदमस्त जवानी से ।।

***

Read more like this: by Author praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag eyes | heart | Love

Story Categories

  • Book Review
  • Childhood and Kids
  • Editor's Choice
  • Editorial
  • Family
  • Featured Stories
  • Friends
  • Funny and Hilarious
  • Hindi
  • Inspirational
  • Kids' Bedtime
  • Love and Romance
  • Paranormal Experience
  • Poetry
  • School and College
  • Science Fiction
  • Social and Moral
  • Suspense and Thriller
  • Travel

Author’s Area

  • Where is dashboard?
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Contact Us

How To

  • Write short story
  • Change name
  • Change password
  • Add profile image

Story Contests

  • Love Letter Contest
  • Creative Writing
  • Story from Picture
  • Love Story Contest

Featured

  • Featured Stories
  • Editor’s Choice
  • Selected Stories
  • Kids’ Bedtime

Hindi

  • Hindi Story
  • Hindi Poetry
  • Hindi Article
  • Write in Hindi

Contact Us

admin AT yourstoryclub DOT com

Facebook | Twitter | Tumblr | Linkedin | Youtube