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Message for International Woman’s Day 2014

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag rape | respect | woman | woman's day

This Hindi poem highlights the social issue of “Rape” which is now a days on its peak and try to give a lesson to this man dominated society that He is the only one who can teach the lesson of Woman respect to others on this special International Woman’s Day.

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Message for International Women’s Day 2014
(Note: Image does not illustrate or has any resemblance with characters depicted in the story)
Photo credit: anitapeppers from morguefile.com

रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
रक्षक बनकर सब कुछ पा लेगा  …… भक्षक बन कर पछताएगा ।

जिसकी पूजा देवता भी करते  ………उसको क्यूँ तू बदनाम करे ?
अपने इस मानुष जीवन में  ………. क्यूँ अधर्म का काम करे ?

आज उसी की पूजा करके  ……तू भी देख तर जाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

नारी का है रूप सलोना  ………. उस रूप की छाँह में तू विश्राम करे ,
गर उस छाँह से मुह मोड़ा तो ……… बंजर भूमि का तुझे वरदान मिले ।

ऐसे कुटिल -कँटीले वरदान से  ……कैसे तू अपनी शान बढ़ाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

सोच समझ ए नादान बन्दे  ………. ये नारी ही तो है बड़ी विशाल ,
जब-जब तू रह जाता अकेला  ………. तब-तब ढक लेती तुझे आँचल के ताल ।

आज उसी आँचल को मैला करके  …… बोल भला तू क्या पाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

तेरे कामुक मन को  ………. अपने कामुक अंगों के रस से वो भरती है ,
तू जब भी उससे करता ठिठोली  ……तो हर तृष्णा वो तेरी हरती है ।

फिर भला कैसे भक्षक बनने की  ………. लालसा से तू गरमाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

स्त्री-पुरुष दो गाड़ी के पहिए  ……जो साथ-साथ चला करते हैं ,
राह अनूठी ,रंग अनूठा  ………. फिर भी एक-दूजे पे मरते हैं ।

फिर क्यूँ तू उस स्त्री के पहिए पर  ……… अपने गाड़ी दौड़ाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

नारी को पाने की इच्छा  ……… हर पुरुष के मन की एक आस बने ,
लेकिन जहां मर्ज़ी हो दोनों की  …… वहीँ प्रेम का दीप जले ।

बिन मर्ज़ी उस आस पे बोल  ……….भला तुझको कैसे आनंद आएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

नारी से घर में शोभा बढ़ती  ………. बिस्तर पर फूल बिछ जाते हैं ,
ये नारी ही गर कुचली जाए  ……तो फूल भी शूल बन चुभ जाते हैं ।

ऐसे शूल के हार पहन  ……… तू कब तक जीता जाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

नारी को अपने नीचे रखकर  ………. नारी का तू सम्मान गिराए ,
दोनों ही जब राज़ी ना हो  ……तो क्यूँ तू उसपर अपना अधिकार जमाए ?

ऐसे पुरुषत्व के अधिकार को पाकर  ……तू लज्जा से बाद में गड़ जाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

बंद करो ये ज़ोर-ज़बरदस्ती  ……… बंद करो ये सीना-ज़ोरी ,
इससे कुछ हासिल ना होगा  ……… सिर्फ दिखेगी तेरी कमज़ोरी ।

चंचल तितली को काबू करने  ………चंचल भँवरा ही फूलों पर आएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

“बलात्कार” नारी का नहीं  ………. “बलात्कार” तब होता है पुरुष के मन का ,
जब अपना सामर्थ्य सिद्ध करने को  ……… कर बैठता है वो नादान चंचलता ।

फिर क्यूँ ऐसी चंचलता पर  ………. तू काबू रख नहीं पाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

आज चलो इस Women ‘s Day पर  ………याद तुम्हे करवाते हैं ,
कि नारी ही वह शक्ति है  ……… जिसके आगे बलवान पुरुष भी हार जाते हैं ।

फिर ऐसी नादान नादानी करके  ……तू आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश पहुँचाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

“बलात्कार” है सबसे घिनौना  ………. मत इसमें खुद को लिप्त करो ,
पाना ही चाहते हो गर साथ किसी का  ………. तो अपने दिल से उसपर हुक्म करो ।

दिल को केवल दिल की बातों से ही  ………तू जीत पाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

युग बदले मानसिकता बदली  ……पर अब भी कुछ मानसिक बीमारी बाकी है ,
कितना अच्छा होगा गर सब ये सोचें  ……… कि नारी की कीमत केवल उसकी इज्जत ने ही आँकी है ।

तू ही वो एक ऐसा शख्स है जो  ……… उस इज्जत का पाठ सबको पढ़ाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन  ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?

***

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