
Hindi Poem – Iss Baar Ki Eid Ka Chaand
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इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ,
इस बार की ईद का चाँद ………. अपने मुल्क की छवि यहाँ लाया था ।
चाँद उस मुल्क में भी वही था ………. जो इस मुल्क में दिखता है ,
भेजने वाला भी था वैसा ही ………. जैसा इस मुल्क का बंदा है ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
मगर फिर भी मुल्कों का ये बैर ………. नफरत उस चाँद में ले आया ,
उस चाँद की तस्वीर से ही ………. इस दिल का हर एक ज़ख्म हरा हो आया ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
हमने माँगी थी बस एक तस्वीर ………. ये सोच की वहाँ चाँद कुछ बदला सा होगा ,
हमारे खामोश चाँद से ज्यादा ……….वहाँ के चाँद में एक नया जोश होगा ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
मगर जब “ईद मुबारक” का जुमला भी ………. उस मुल्क को ना भाता था ,
तो कैसे भला उस मुल्क का चाँद ………. हमें जोशीला सा नज़र आता था ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
हम मुल्कवासी अक्सर ………. उस मुल्क से नफरत करते हैं ,
वो मुल्कवासी भी अपने मुल्क पे ………. खामखाँ आहें भरते हैं ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
मगर उस मुल्क के चाँद की तस्वीर को ………. जब हमने अपने मुल्क के चाँद की तस्वीर से मिलाया था ,
तो यहाँ का चाँद और वहाँ का चाँद ………. सच पूछें तो , एक दूजे की ही छाया था ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
हम चाँद की तस्वीर माँगकर भी ………. इतना उस चाँद से डरते थे ,
कि इस मुल्क के चाँद को उस मुल्क के चाँद से ………. एकदम जुदा समझते थे ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
इसलिए हमने उन दोनों तस्वीरों को भी ………. अलग-अलग ही दर्शाया था ,
क्योंकि हमारे और उस मुल्क के चाँद में ………. दिलों से ही कितना अंतर पैठाया था ।
इस बार की ईद का चाँद ………. दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ………
उस चाँद को भेजने वाला चाहे ………. हमारा कितना भी हमदर्द बने ,
मगर उस चाँद में हमको ………. हमेशा सूरज जैसा ही तेज लगे ।
इस बार की ईद का चाँद ……… दूसरे मुल्क से यहाँ आया था ,
इस बार की ईद का चाँद ………. अपने साथ एक गहरा दाग और लाया था ॥
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