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Naari Hai ……. Ye Moorat Sadiyon Se Nyaari Hai

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag Girl Child | woman | woman's day

This Hindi poem highlights the importance of WOMEN on the “INTERNATIONAL WOMEN’S DAY” and try to give the message to the society that if the identity of such personality is lost then the MEN have to live like an incomplete soul forever.

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Hindi Poem on Woman’s Day – Naari Hai,Ye Moorat Sadiyon Se Nyaari Hai

Photo credit: earl53 from morguefile.com

जिस रूप में वरण करो उसका  ………. उस रूप में वो प्यारी है ,
नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है ।

कभी माँ बनके संताप हरे  ……… कभी बिटिया बनके नन्हा फूल खिले ,
कभी बहन बनके दिल में बसी  ……… कभी महबूबा बन दिल की प्यारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

संग बंध के पत्नी रूप में वो  ………. हर ले सारी पीड़ा को वो  ,
वो पल-पल उसे तिरस्कृत करता रहे  ……… तब भी वो वचन निभाने को हारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

ब्रह्मा ने रचा जब रूप इसका   ……… तब करुणा ,ममता, वात्सल्य से इसको था गड़ा  ,
ये सीख गई अगर चतुराई यहाँ  ……… तो ये इस पुरुष की जिम्मेदारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

वो पल-पल इसको रौंद रहा ………अपनी हवस के आगे इसका दिल तोड़ रहा  ,
वो चुपचाप सहे पर उफ़ ना करे  ……… ऐसी एक शक्ति प्यारी  है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

आज घोर अँधेरा छाया है  ……… इस पुरुष का मन कुटलाया  है  ,
जन्म से पहले ही इसे मिटाने को   ……… उसके मन में एक पाप समाया है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

इसको मिटा के गर वो जीत भी गया  ……… तो किस पर राज करेगा ये तो बता ?
एक यही वो ऐसी सूरत है ……… जो उसको शक्ति दे बन जाती खुद बेचारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

बड़ी शर्म की है बात ज़रा देखो  ……… कि केवल एक दिन दिया है हमने इसको  ?
जब पूछा जाता है इसको यहाँ पर  ……… पर बाकी दिनों में ये फिर से मारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

पर फिर भी वो इस सम्मान की कद्र करे  ……… अपने होने का तब भी गर्व करे ,
इस “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” के मौके पर  ……… ये जश्न में डूबी सारी है ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

मैं इस कविता के माध्यम से ये सन्देश पढ़ूँ   ……… अपनी नारी शक्ति को थोड़ा बुलंद करूँ ,
इस पुरुष प्रधान समाज को फिर से  ……… नारी-शक्ति को समझाने का एक प्रयत्न करूँ  ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

कि एक बार सोचकर देखे वो भी ज़रा  ……… कि क्या होगा गर मिट गया अस्तित्व उसका ?
तब लाख प्रयत्न करले चाहे वो  ……… तब भी पा ना पाएगा धरा पर फिर से उसको ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

इसलिए मत खोने दो ऐसी विशाल ज्वाला  ……… जो कर देती है हर घर में उजाला ,
नारी को बना अपनी सखा उसे गले लगाओ  ……… और इस “महिला दिवस” पर अपनी संकीर्ण सोच से थोड़ा ऊपर आओ ।

नारी है  ……… ये मूरत सदियों से न्यारी है  ………

नारी का सम्मान करोगे अगर तुम ……… तो अर्धनारीश्वर की स्तुति का फ़ल पाओगे  ,
वरना हर जनम में पुरुष बन कर भी  ……… कहीं न कहीं खुद को अधूरा ही पाओगे ॥

***

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