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Usne Socha

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag money | Mother

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Hindi Poem – Usne Socha
Photo credit: presto44 from morguefile.com

चेहरे पर गहन होती लकीरें ,
शून्य में डूबते ख्याल ,
एक और झूठ फिर से आज ……. बोल ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

खाली कनस्तर आटे का ,
और नमक की भी बदहाली ,
कम होता हुआ डब्बे से वो सरसों का तेल …… देख ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

नीचे खड़ी लाखों की गाडी ,
और हाथ में थामे हुए एक महंगा मोबाइल ,
शहरी जीवन की ऐसी चकाचौंध से ग्रसित …… होकर ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

कैसी अजब सी विडंबना थी यहाँ ,
जो भीतर ही भीतर मन को कचोट रही थी ,
उसी सच और झूठ के झमेलों में …… उलझ ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

एक उम्र यूँ ही गुज़र गई ,
मगर पवन गति ना पकड़ सकी ,
चंद सिक्कों का शोर कानों में …… सुन ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

बच्चों की हर बढ़ती माँग पर सर हिलाना ,
फिर खामोशी से रिस्ता दर्द दबाना ,
खुद को तन को धीरे-धीरे से गलता …… देख ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

स्तन भी अब दे गए थे जवाब ,
भला बढ़ती हुई भूखों का वहाँ क्या हिसाब ?
मगर फिर भी अपना दिल समझाने …… के लिए ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

एक माँ का दिल कोई समझ नहीं सकता ,
आखिरी साँस तक रहता है उसका , अपने स्तनों से वास्ता ,
अपने अंशों को बहलाते-बहलाते कई बार …… अब ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

बाहर इतना उजाला कि कम लगे ,
भीतर इतना अँधेरा कि जिसमे सिर्फ वो जले ,
कश्मकश के इस दौर से गुजरते हुए …… हारकर ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

दिमाग को पूरी तरह से काबू कर ,
धमनियों के रक्त को अपने अंदर खौला ,
अपने बेबस से नज़ारे पर खुद ही रंज …… कर ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

उनके आने पर कोई बहाना बना ,
नज़रें बचाकर उनका पर्स टटोल ,
उसी एक कागज़ के नोट को वहाँ फिर से …… पा ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

गर वो सुनते तो सुना देती उन्हें , अपने मन का शोर ,
कि कैसे तड़पता है एक माँ का ह्रदय , हो विभोर ,
उनका पुरुषार्थ मगर गिरेगा …… ये सोच ,
उसने सोचा ,” कि काश ………
मेरे स्तनों में फिर से ……… आज दूध उतर आता । ”

***

 

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