This Hindi poem highlights the condition of an Indian woman in which She was the sufferer of His Husband’s will .Though many thoughts and ill wishes came in Her mind too but every time she agreed to adjust with Him as She Knows that this is a unique style of an Indian marriage where one partner , specially woman remains on the adjustable side.
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ,
मेरे हालातों पर ……… उनकी हुक़ूमत का असर दिखता है ।
मैं तो दम भी अगर भरती हूँ ………. तो उनके इशारों पर ,
और सँभल के अगर गिरती हूँ ………. तो अपने इरादों पर ।
उनकी हुक़ूमत से मेरे इरादों का ………. रँग बदलता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसमें बग़ावत का रँग चढ़ता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
अपनी हुक़ूमत के आगे ………. वो मुझे बेज़ार समझें ,
एक दिल इधर भी कसकता है ………. जिसे वो बेकार समझें ।
उनकी हुक़ूमत से मेरी बेज़ारी का ………. रँग चमकता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसमें एक चिंगारी का शोला भड़कता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
एक आदत सी हो चली है अब तो ………. उनकी हुक़ूमत की मुझे ,
मैं फिर भी दे देती ही हूँ अक्सर ………. एक अफ़सोस उन्हें ।
उनकी हुक़ूमत से मेरी सरगर्मी का ………. दिल धड़कता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसमें किसी और का चेहरा दमकता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
वो समझते हैं कि हुक़ूमत जीत लेगी ………. उनके ख्यालों को ,
मगर वो दौर अब चले गए ………. जिसमे फ़ना करते थे खादिमदारों को ।
उनकी हुक़ूमत से नए दौर का ………. पन्ना भरता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसमें हरफों की चाशनी का मीठा चिपकता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
हुकूमतों को चलाने वाले ………. ज़रा इतना तो ग़ौर फ़रमा ,
कि मुलाज़िम भी तोड़ देते ताले ………. गर उनका ज़ोर कुछ चला ।
उनकी हुक़ूमत से नए विचारों का ………. जन्म पनपता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसमें एक और बीज उपजता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
अपने हालातों को सँभाल ………. मैं जिए जा रही ,
अपने मालिक की सौ भूल के ………. कड़वे घूँट भी पिए जा रही ।
उनकी हुक़ूमत से मेरे अंदर एक ………. सवाल उपजता है ,
धीमे-धीमे से ……… इसको एक नया ज़वाब भी मिलता है ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
उनकी फ़ितरत को मैं अब ………. बदल भी अगर दूँ ,
और अपने हालातों को ………. ज़माने के संग रँगू ।
तो उनकी फ़ितरत में तब ……….एक तब्दील का ऐसा घिनौना रूप दिखेगा ,
धीमे-धीमे से जिसमे ……… मेरे संघर्षों का हवनकुण्ड सजेगा ।
उनकी फ़ितरत से ……… ज़माने को डर लगता है ……………….
उनकी फ़ितरत को ………. फितरत ही रहने दिया मैंने अब ,
अपने हालातों पर ………. उनकी हुक़ूमत को और चलने दिया अब ।
उनकी हुक़ूमत से ………. मेरे समझौते का रूप निखरता है ,
धीमे-धीमे से इसमे ……… वैवाहिक परंपरा का एक अनोखा मिश्रण झलकता है ।।
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