This poem highlights the current situation in which at every second female abortions are going on. If such situation persists then very soon there will be a day come when the ratio of the girl per men go down.
पाँच पांडवों की एक द्रौपदी …..
मत बनने दे मुझको “माँ”,
आने दे इस संसार में छोटी “बहना” को ,
उसका “वर” भी तो जन्मा होगा कहीं यहाँ ?
क्या होगा ….एक बार तू सोच कर देख ,
जब रहेगी ना कोई कन्या यहाँ ,
तब क्या मर्दों का मर्दों से ही ……
विवाह के संजोग से सजेगा समाँ ।
हर रोज़ भ्रूण में लाखों कन्याएँ ,
अपने प्राणों को गँवा देती हैं ,
और जो उन साँसों को गिनने की भूल करें ,
उनको पैदा होने पर सजाएँ मिलती हैं ।
क्यों मर्दों ने अब ये ठान लिया है ,
कि बेटे को ही गले लगाएँगे ,
बेटी गर गलती से भी आ गयी ,
तो उसकी चिता यहीं सजाएँगे ।
अपनी इस नादानी पर एक दिन वो ,
नौ-नौ आँसू बहाएँगे ,
जब “कन्या” होगी केवल एक ,
और दस वर उससे स्वयंवर के ख्वाब सजाएँगे ।
तब लड़की को नहीं ….लड़के को ,
दहेज़ देने का बीड़ा लेना होगा ,
अपनी मनपसंद साथी के लिए ,
Credit-Card से Payment करना होगा ।
उस पर भी Recharge का Option ,
हमेशा ही उसके साथ चलेगा ,
गर समय पर Payment ना की तो ,
Connection Cut का Risk उम्र भर साथ रहेगा ।
इसलिए मत मारो “गर्भ” में कन्यायों को ,
जब भी “पिता” बनने का फक्र उठाओ ,
कन्याओं को बोझ न समझकर ,
उनके पंखों से भी दुनिया घूमकर आयो ।
समाज में “कन्या बचाओ आन्दोलन” अब ,
अपना तूल पकड़ने लगा है …..
“लड़की” के पैदा होने पर अब ,
उसको जीवित रखने की चिंता से ग्रसित हो रहा है ।
“कन्या” नहीं होती कोई घाटे का सौदा ,
“लक्ष्मी” रूप में इसको जिसने भी पूजा ,
दरिद्र को भी सम्पन्न बना …
अपने पिता के भाग को इसने खोजा ।
“अर्धनारीश्वर” है जब सृष्टि का ज्ञाता ,
तब कैसे सिर्फ “पुरुष” संसार चलाएगा ?
या तो खुद के मन को वो तब मंथन करेगा ,
या फिर “नारी” पाने की आस में छटपटाएगा ।
“द्रौपदी” ने भी ऐतराज़ उठाया था ,
खुद को पाँच के संग बाँटकर ,
फिर कैसे कलयुग में जीना होगा ,
एक “नारी” को दस की प्यास बुझाकर ?
इसलिए आओ अभी से प्रण ये कर लें ,
कि “कन्या” को भी इस संसार में लाएँगे ,
पाँच पांडवों की एक द्रौपदी …..
फिर न किसी “नारी” को हम बनाएँगे ॥
A Message To All-
Save Girl Child………Save The Nation,
Don’t Go For The ……..”Early Cremation”.