एक तीस वर्ष का नौजवान व्यक्ति जो की एक अच्छे संस्था में कार्यरत हैं .उसके पास इज्जत, शोहरत,पैसा सब कुछ होता हैं .वो अपने परिवार के साथ बहुत खुश है , वो अपने दोस्तों परिवार तथा रिश्तेदारों पे खुद से ज्यादा भरोसा करता हैं.
लेकिन उसके किसी अति खास व्यक्ति की वजह से वो अपनी नौकरी ,अपनी इज्जत अपनी शोहरत सब खो देता हैं . वो जिन्दगी से परेशान है, वो जीना नहीं चाहता, वो अपनी जिन्दगी खत्म कर देना चाहता है, वो बहुत उदास है….
अचानक से एक दिन ना जाने ऐसा क्या हुआ,वो उठा औरखुद से बोला नहीं मै जिऊंगा , मै जिन्दगी की दौड़ में हार नहीं मानूंगा , मै अपने आप को फिर से साबित करूंगा.
अब उसे जिन्दगी से कोई शिकायत नहीं है ,वो इस रंग बदलती जिन्दगी की हकीकत को जान चुका था. वो अपनी जिन्दगी की परिस्थितियों का शुक्रगुजार है जिसने उसे इतना कुछ सिखा दिया.
एक दौड़ सी होती है जिंदगी,
कभी रूकती है, कभी दौड़ती है जिंदगी,
कभी मायूसी ,कभी उमंगे दे जाती है जिंदगी.
आसमान की उचाई तक ले जाती है जिंदगी,
पल भर मे जमीं पे ले आती है जिंदगी.
ख्वाइशो को पंख लगाती है जिंदगी,
अरमानो को कुचल,फिर रुलाती है जिंदगी.
एक दौड़ सी होती है जिंदगी,
थकाती है कभी , कभी भगाती है जिंदगी,
रह-रह के नई पाठ पढ़ाती है जिंदगी.
वक्त के साथ बदल जाती है जिंदगी,
हर रोज नई रंग दिखाती है जिंदगी.
हर चेहरे पे नकाब चढ़ाती है जिंदगी,
दुःख में सभी का साथ छुड़ाती है जिंदगी,
नकाबो मे छुपी सच दिखाती है जिंदगी…..
फिर जीने की वजह भी दे जाती है जिंदगी,
हौसलों को नई उड़ान दे जाती है जिंदगी.
गिर के संभलना सिखा जाती है जिंदगी,
आईना अपनी ताकत का दिखा जाती हैं जिंदगी.
वक्त के साथ बदलना सिखा जाती है जिंदगी…
उठो, बढ़ो,आगे चलो ,जिंदगी एक दौड़ है,
ना रुको ,ना थको तुम चलते चलो,
गिरो, उठो आगे बढ़ो..
कोई संग हो ना हो तुम बढते चलो..
जिंदगी एक सफ़र है तुम चलते चलो……
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धन्यवाद !
विशाल