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Ek Bujhti Hui Shamaa Ka Deewana Tha

Published by praveen gola in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag Love | Lover | meeting

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Hindi Love Poem – Ek Bujhti Hui Shamaa Ka Deewana Tha
Photo credit: sssh221 from morguefile.com

एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ,
एक बुझती हुई शमा को ………. ही था ………. उसने अपना माना ।

एक बुझती हुई शमा की खातिर ………. वो रहे बिछाए ,
हज़ार ख्वाइशों को था लिए ………. अपने मन में सजाए ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

कभी उस शमा को ………. वो अपनी उंगलिओं से बुझा ,
कभी खुद ही उसमे डाल और तेल ………. था उसको जला ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

हज़ार बार उस शमा ने कहा ………. कि चला जा तू ,
मेरे संग खुद को ना जला ………. ओ रे दीवाने , ऐसे तू ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

नहीं सुना उसने कुछ भी ………. वो मचलता ही गया ,
उस शमा के संग ………. और भी पिघलता सा गया ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

शमा और परवाने की मिसाल ………. सदियों से सुनते आए हैं , हम सब ,
कि परवाने को रहती है अक्सर ………. शमा में जलने की , एक तलब ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

मगर शमा की जवानी से ही ………. तो अक्सर परवाना है जले ,
फिर क्यूँ बुझती हुई शमा के लिए ………. वो ऐसे अपना अक्स तजे ?
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

उस परवाने पे तरस भी आता है कभी-कभी ………. उस शमा को , सुनो ,
वो तब और भी बुझने को करे ………. जतन , ये कह लो ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

वो ये सोच कर बुझे ………. कि क्यूँ जले ये परवाना यहाँ ?
जब लिखा है उसकी किस्मत में ………. कहीं एक और नई शमा का आशियाँ ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

मगर वो परवाना ना सुने ………. और ज़िद पे अपनी अड़ा रहा ,
बार-बार उस शमा के गेसुओं से ………. खुद को था बाँधे रहा ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

जलने दो उस बुझती हुई शमा की आग में ………. उस दीवाने को चलो ,
देखें कब तलक वो रोक पाएगा ………. इसकी बुझती हुई लौ को ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

क्या पता धीरे-धीरे बुझती हुई ………. उस लौ से ही , वो और जले ,
क्या पता यही बुझती हुई लौ ही ………. उसके तन-मन में एक सुकून भरे ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

जब तलक वो शमा जलेगी ………. तब तक वो परवाना जिएगा ,
जिस दिन वो शमा बुझेगी ………. उस दिन एक फ़साना बनेगा ।
एक बुझती हुई शमा का ………. दीवाना था ………. वो परवाना ………

कि बुझी या ना बुझी हुई शमा से ………. परवाने को कोई फर्क नहीं पड़ता ,
क्योंकि परवाना तो करता है इंतज़ार ………. सिर्फ शमा के जलने का ॥

***

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