“दिल की बात दिल तक”
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Hindi Love Poem – Dil ki Baat Dil Tak
Photo credit: gracey from morguefile.com
दिल की बातों को होंठो पे लाना था, प्यार सही था मेरा वही तुझको बताना था,
उम्मीद थी ही गलत, जो टूटना ही थी, अफोसोस ये था की क्यों मुझको तेरा प्यार पाना था!
हमने चाहा की तू भी हमको चाहे, पर मुक्कदर मैं कहाँ तेरा साथ पाना था,
रुला गया उसका हमे कोई शिकवा नहीं, दर्द बस इतना है की क्यों तुझको दिल से चाहा था!
हमे इस ज़माने की कोई परवाह नहीं, परवाह तेरी थी जो तेरा प्यार चाहा था,
खेर अब जो भी हुआ वो मेरा मुक्कदर था, नहीं पता क्यों मेरे हाथों की लकीरो पे तेरा साया था!
ये आँशु नहीं हैं ये तो मोती हैं, सीप ने जिसको खुद मे समाया था,
कदम पलट रहे थे मेरे उसको देखा तो, फिर सोचा दूर कहाँ साथ उसके जाना था!
प्यार खेल नहीं है कोई कठपुतली का, उसको नहीं था मुझसे तभी तो उसको खोया था,
चलो जो भी वो बड़ा दुस्र्स्त हुआ, अब हमे भी तो अपना रास्ता पाना था!
वो अभी भी मेरा है कोई गेर नहीं, प्यार से ऊपर भी कोई रिश्ता जो बनाना था,
नाम से रूबरू तो हैं ही सभी उस रिश्ते के, दोस्ती जैसा हमे एक और रिश्ता निभाना था!
प्यार पाना ही सब कुछ नहीं होता ये जानते हैं सभी, प्यार खो के ही तो प्यार को पाना था,
बहुत दूर तक चले थे हम यूँ साथ तेरे, क्योंकि एक बेनाम सा रिश्ता चलाना था!
अश्क और इश्क़ बहुत करीब हैं, आँशु तो फिर भी दोनों के साथ पाना था,
चलो अब सामने से बार करते हैं, सबक ये दूसरों को भी तो सिखाना था!
शुक्रिया तेरा मेरा साथ देने के लिए, पता तो चला कितना ये सफर सुहाना था,
बस यही पर शब्द मेरे सिमट से गए, मुझे तो बस इतनी ही दूर जाना था!
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