शायद यही प्यार है
क्युं ये समां हैं आन पडा़,
जब साथ हम रह ना सकें ा
क्युं ये घडी़ हैं आ गई ,
जब तुम मेरे ना हो सकें ा
वो वादा था ,साथ निभाने का ा
वो कसमें थी ,ना दूर जाने कीं ा
तो क्यु तुम ऐसे चल दिए ,
जैसे थी मै कोई राहगुजर ा
क्युं ये महफिल फिर सजी आज ,
जब तुम इस महफिल मे हीं ना रहें ा
क्युं ये राह अब बेगानी सी लग रही ,
जब तुम इन राहों मे अब ना रहें ा
क्युं ये सर्दियॉं अब तीखीं सी हैं ,
जब तुम इनमे अब मेरे पास ना रहें ा
क्युं ये रातें अब बडी़ हो चुकी हैं ,
जब इनमे तुमसे बात करना ना रहा ा
क्युं ये आसुँ बह जातें है योंहीं ,
जब तुम इन्हे प्यार से पोछनें ना रहें ा
क्युं इन आँखों में अब भी तस्वीर तुम्हारी हैं ,
जब तुम इनसें कहीं दुर खुद को चुरा के चल दिए ा
क्युं अब भी मुझें इन्तजार हैं ,
जब तुम लौटकर नही आनेवाले ा
शायद यही प्यार हैं !
मेरी जन्नत
क्या थी खता वो मेरी
जो हम युँ बिछड़ गए ा
वो हसीन पल जिंदगी के,
युं ही हमसे दूर चल गए
जब खुदा को नागवार था ये रिश्ता
तो मिलाया था क्यु हमसे एक फरिश्ता ा
वो भीगीं आँखों के सरगम में ,
कितनी भोली लगती थी उसकी सुरत ,
वो मनमोहक आवाज की
जैसे प्याली थी कोई मूरत ा
वो दर्पण का भी भाग्य होता
जो दिखलाता उसकी नजाकत ा
शब्दों से ही प्रेम बरसता ,
ऐसी वाणी थी उसकी ा
चंचल सी, प्यारी सी
कानों को मनभावन सी
लगती थी वो बाते उसकी ा
इस प्रेम की मूरत को ,
कैसे भूलू मै अब आज ा
जब ह्रदय मे मेरे पड़ चुकी हैं ,
उसकी एक अमिट छाप ा
वो नशीली आँखों को,
उन मधुर बातों को ,
भुलें ना भुला सकुँ मैं
उनकी यादों को सजोंये रखुँ मैं ा
वो यादें हैं इतनी सुहानी
कर देतीं हैं मुझें दिवानी ा
मिले जो फिर हम ,तो खुदा की रहमत ा
ना मिल सकें ,तो तेरी यादें ही मेरी जन्नत ा
–END–