This Hindi poem highlights the feelings of a beloved where in the state of Love She felt on floating with Nature. And due to this She was well-known examined Her too in the end .
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहती फूलों की खुशबू लगे ………. बहुत निराली ,
बहती हवाएँ कर देती हैं ………. मुझे मतवाली ।
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहते तितली के रंग …………. मेरे मन के संग ,
बहती भँवरे की गुंजन ………… छू के मेरा तन ,
बहता सागर , बहती नदिया ………. बहती पुरवा पवन ,
बहती मैं भी मचल-मचल के ………. बहते मेरे ये अंग ।
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहता ये इन्द्रधनुष …………. बहते ये तारे और गगन ,
बहती है क्यूँ मेरे मन में ………… फिर एक नई उमंग ,
बहता है तू , तो बह जाती हूँ मैं भी ………. तेरे संग ,
बहते हम दोनों जब भी होता है ………. अपना ये मिलन ।
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहते हुए रात को सँभालें …………. तो सँभलती क्यूँ नहीं ?
बहते हुए ज़ज़्बात को सँभालें …………तो सँभलते क्यूँ नहीं ?
बहने-बहने में पकड़ हाथ ………. हम बह जाते हैं क्यूँ ?
बहने-बहने की ही तो है बात ………. फिर उबर आते हैं क्यूँ ?
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहने दो आज , बहने दो साथ …………. सँभालो ना अब हमें ,
बहती हुई धारा में पकड़ हाथ ………… और बहा दो अब हमें ,
बहना ही है अगर अपना राज़ ………. तो चल बहें भँवर तले ,
बहने से ही जो बनती हो बात ………. तो बहके ये तन जले ।
बहता-बहता सा क्यूँ लगे सब …………. देखो ना ?
बहती धरती , बहता अम्बर ………… सोचो ना ?
बहना भी तो है ………….इश्क़ का एक साज़ अपना ,
बहना ही तो है ………… देखा हुआ एक रंगीन सपना ,
तो फिर सपने में ही सही ………. बहती तो हूँ मैं भी संग अपने ,
बहते-बहते ही पहुँच गई हूँ देखो ………. बहुत करीब अब अपने ।।
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