This Hindi poem highlights the grief of a Lover in which He demanded the liquor to get her beloved beauty as He was deeply involved in the Love and wanted the same from Her.
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Hindi Love Poem – Pila de itni mujhe aaj
Photo credit: clarita from morguefile.com
पिला दे इतनी मुझे आज ……… कि थोड़ा गम कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
तेरी चाहतें मुझे अब ………… करने लगीं बेचैन सनम,
आ के कर दे मुझ पर …… अपने हुस्न का थोड़ा सा करम ।
समा तू इतनी मुझमे आज ………. कि थोड़ा फक्र कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
तेरे संग जीने को अब ……… मेरा ये दिल करता है ,
कभी तुझे छूने को , कभी पाने को ………. ये मचलता है ।
नशे में डूबूँ सारी रात ………. ऐसी चाहत कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
तुझको पाना मेरी किस्मत का …………एक खज़ाना है ,
दिल ~ए~ मस्ती में डूब जाऊँ …… ऐसी चाहत का ये तराना है ।
समा तू मुझमे सारी रात ………. कि थोड़ा और जी लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
तू जो ना मिलती तो मैं कहीं यूँ ही ……… दफ्न हो जाता ,
इश्क़ की इस गहराई को ……कभी ना समझ पाता ।
भँवर में उतर मैं जाऊँ आज ………. ऐसा ख्वाब मन में रख लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
पीना-पाना तो बन गया अब ……… एक बहाना है ,
तेरे हुस्न के आगे तो ………. हर पैमाना भी बेमाना है ।
छलक ना जाए अब ये जाम कहीं ……… इसलिए पैमाना थोड़ा कम भर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
रात भर पीता रहा मैं …… तुझे पाने की खातिर ,
तू ना आई मेरी मैयत पर भी ………. देने सुकूँ काफ़िर ।
पिला दे और मुझे आज ……… कि थोड़ा रंज कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।
पीते-पीते ही दम ये निकले …… और आँखों में तू बस जाए ,
मेरे मरते हुए अरमानो को ………. एक हवा दे जाए ।
ऐसी खुशनसीबी मिले मुझको ………कि मैं खुद को रँग लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में ………. आँखें नम कर लूँ ।।
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