In this Hindi poem, poet is requesting the wine bearer to give wine as she want to see her lover’s face in the last moments of her life

Hindi Poem – Free From Burden
Photo credit: Carool from morguefile.com
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
टूटती इन साँसों में ….अपने “यार” की सूरत तक लूँ ।
उम्र भर “वो” मिल न सका ….अब तो गले लगाने दे ,
हल्के-हल्के “नशे” में मुझको ….उसके करीब जाने दे ।
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
टूटती इन साँसों में ….अपने “यार” के दिल को भर दूँ ।
वो अनजान सा “सौदागर” ….बन बैठा मेरा अफ़साना ,
दुनिया वाले खोज रहे हैं …….मेरे किस्से का “दीवाना” ।
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
टूटती इन साँसों में ….कुछ पल सुकून के …..उसके नाम कर दूँ ।
दिल में जो एक “बोझ” बसा है ….उसकी चाहत के भरम का ,
आज बहाने दे तू मुझको …..गहना मेरी लाज शरम का ।
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
हौले-हौले से अपने जाम में ….उसके नाम का “अमृत” भर दूँ ।
बहुत सताया उसने मुझको ….पल-पल गम में छोड़ गया ,
अब देखें आ हम भी कैसे ……उसके “दिल” को कुछ क्यों नहीं हुआ ?
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
उसकी धड़कनों में बसकर …..उसके ‘दिल” को अपना कर लूँ ।
अंतिम क्षण यूँ बीत रहा है ….उसकी खबर को आने दे ,
टूटती हुई इन साँसों में ……उसकी “हिचकी” की याद समाने दे ।
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
गिरते पड़ते इश्क में उसके ……”साँसों” की माला को जप लूँ ।
कहते हैं जो मरते हैं …..अधूरी ख्वाइश को साथ लिए ,
एक “बोझ” उनके सीने पर …..रह जाता है नया भार लिए ।
“साकिया” मुझे “शराब” ला ……मैं भी ज़रा सा इसको चख लूँ ,
“नशे” को बेकाबू करके …..हर “बोझ” से खुद को मुक्ति दे दूँ ।
बिना “नशे” के होगा नहीं ……उसका कभी “दीदार” मुझे ,
“साकिया” तू एहसान कर दे …..”शराब” पिला कर इस बार मुझे ॥