
Hindi Funny Poem – Romance aur Romaanch
Photo credit: jeltovski from morguefile.com
बड़ी ही रोमांचक कहानी पढ़ रहा था एक दिन,
अंत करीब था, रोमांच बढ़ता जा रहा था……
आगे क्या होगा….आगे क्या होगा…?
आगे पेज नंबर १२० और १२१ एक दूसरे से चिपके पड़े थे…
समझ में नहीं आ रहा था, क्या करूँ….
बड़ी अजीब स्थिति होती है आपकी.
जब आप पार्क में या, समंदर के पास एक कोने में
लोगों की नज़रों से बच के अपनी प्रेमिका को
आलिंगन कर रहे हो, और अचानक
किसी की नज़र आप पर पढ़ जाए….
आप अपनी नज़र दायें-बाएं कर लेते हो….
यही स्थिति मेरी थी…पेज नंबर १२०-१२१
आपस में चिपके हुए थे….और मेरी भूमिका
दर्शक मात्र की थी…जो केवल कहानी का अंत पढना चाहता है…
रोमांचक कहानी के बीच रोमांस आ चूका था…
पल भर के लिए मन में आया, मैं भी
भगवा वस्त्र पहन लूँ, और जय बजरंग बलि बोलकर
१२० और १२१ को अलग कर दूँ….
कोई कुछ बोलेगा भी नहीं, सब मूक दर्शक बने देखते रहेंगे
सबको पता होगा की भाई, जो व्यक्ति जय बजरंग बलि
बोल रहा है, वो कुछ ना कुछ तो ठीक ही कर रहा होगा…
पूरी भारतीय संस्कृति का जिम्मा जिस व्यक्ति के
सर पे रखा होता है…उसे शायद दूसरे सर को फोड़ने का
अधिकार तो कम से कम होगा ही….
१२० और १२१ वैसे ही अचानक सार्वजनिक हो जाने के
डर से दुबके पड़े होंगे…..
शर्म के मारे गाल लाल होंगे….और बाकी का शरीर
भारतीय संस्कृति का भार धोने वाले लाल कर चुके होंगे…
पर इस विचार मंथन में, मेरा सर भारी होने लगा
जल्दी से संस्कृति को सर पे ढोने का विचार मैंने
दरकिनार कर दिया….हाथ वैसे ही कांपने लगे थे
१२०-१२१ को लाल करने का सोचने से ही
मैं पीला पड़ गया था…
बस फिर क्या था. …………….
मैंने अपना चश्मा आँखों से उतार कर टेबल पर रख दिया
पेज नंबर १२०-१२१ को बिना परेशान किये
अंत को अगले दिन के लिए छोड़कर, मैंने बत्ती बंद कर दी
और चुपचाप सो गया….
***